राजपूत महापंचायत के अध्यक्ष राघवेंद्र सिंह तोमर की बढ़ी मुश्किलें, मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तारी वारंट जारी

16 जनवरी तक न्यायालय में हाजिर नहीं हुए तो हो सकती है गिरफ्तारी। ईडी द्वारा कुर्क 10 एकड़ जमीन पर चला रहे थे फेथ क्रिकेट क्लब।

Updated: Jan 13, 2023, 06:22 AM IST

भोपाल। राजपूत महापंचायत के अध्यक्ष और फेथ क्रिकेट क्लब के संचालक राघवेंद्र सिंह तोमर की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है। तोमर के खिलाफ मनी लांड्रिंग विशेष न्यायालय ने गैर जमानती वारंट जारी किया है। उन्हें 16 जनवरी तक न्यायालय में उपस्थित होने को कहा गया है। इसके बाद उनकी गिरफ्तारी हो सकती है। 

30 दिसंबर को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा विशेष न्यायालय में प्रस्तुत आरोप पत्र में राघवेंद्र को आरोपी बनाने की मांग की थी। विशेष न्यायाधीश धर्मेद्र टाडा की कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय के अनुरोध पर प्रकरण में संज्ञान लेते हुए राघवेंद्र के खिलाफ मंगलवार को गैर जमानती वारंट जारी किया है। बताया गया है कि रातीबड़ में जिस जमीन पर फेथ क्लब संचालित हो रहा है, उसे ईडी ने पहले ही कुर्क कर रखा है।

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कुर्क जमीन पर किसी भी प्रकार की गतिविधि को कोर्ट ने अवैध मानते हुए वारंट जारी किया है। यह जमीन अरविंद जोशी के पिता हरिवल्लभ जोशी और मां निर्मला जोशी के नाम थी। साल 2017 में हरिवल्लभ जोशी और निर्मला जोशी ने राघवेंद्र सिंह तोमर के साथ यहां फर्म के संचालन के लिए करार किया। इसमें तोमर की 50 प्रतिशत हिस्सेदारी थी। 

2021 में नया समझौता पत्र (डीड) सामने आया, जिसमें तोमर की हिस्सेदारी 95 प्रतिशत हो गई। पांच प्रतिशत हिस्सा तोमर के दोस्त शैलेश अग्रवाल के नाम हो गया। इस डीड में कहा गया कि हरिवल्लभ और निर्मला जोशी ज्यादा उम्र की वजह से फर्म से सेवानिवृत होना चाहते हैं। यह डीड भी संदेह के घेरे में है।

राजधानी भोपाल में करणी सेना परिवार का आंदोलन शुरू होने से ठीक पहले 5 दिसंबर को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आवास पर राजपूत समाज की बैठक हुई थी। इस कार्यक्रम के आयोजन में राघवेंद्र सिंह तोमर सक्रिय थे। करणी सेना ने इन्हें समाज का गद्दार करार दिया था। 

अरविंद जोशी 1979 बैच के आइएएस अधिकारी थे। पिछले वर्ष उनका निधन हो चुका है। वह 2010 में उस वक्त चर्चा में आए थे, जब उनके भोपाल स्थित आवास पर आयकर का छापा पड़ा था। इसमें उनके आवास से साढ़े तीन करोड़ रुपये से ज्यादा की नकदी मिली थी। बाद में राज्य शासन ने उन्हें बर्खास्त कर दिया था।