सीधी हादसे के बाद नियमों के उल्लंघन पर उठे गंभीर सवाल, कटघरे में शिवराज सरकार

सीधी बस हादसे में ओवर लोडिंग से लेकर बस के रूट परमिट तक कई सवाल सामने हैं, इतने दर्दनाक हादसे के बावजूद कोई कार्रवाई न होना भी कई सवालों को जन्म दे रहा है

Updated: Feb 17, 2021, 03:35 AM IST

Photo Courtesy: Naidunia
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भोपाल/सीधी। सीधी बस हादसे में 51 लोगों की मौत की पुष्टि हुई, 4 अब भी लापता हैं। ड्राइवर समेत कुल 7 लोग ही इस हादसे में बच पाए। इस दर्दनाक हादसे का सबसे बड़ा कारण ड्राइवर द्वारा मानवीय भूल और बस के बदले हुए रूट को माना जा रहा है, लेकिन जैसे-जैसे इस हादसे को लेकर जानकरियां सामने आ रही हैं, कई और गंभीर सवाल भी उठने लगे हैं। बस के परमिट और रूट से लेकर सड़कों की हालत तक, कई ऐसे तथ्य सामने आ रहे हैं, जिनकी वजह से शिवराज सरकार सवालों के कटघरे में नज़र आ रही है। 

हादसे का शिकार हुई बस के बारे में एक बड़ा सवाल ओवरलोडिंग का सवाल उठ रहा है। बस 32 सीटर थी लेकिन उसमें 60 से ज्यादा यात्री भरे गए थे। नियमों के मुताबिक बस की ओवरलोडिंग मिलने पर, ज़िम्मेदार परिवहन विभाग के अधिकारियों के ऊपर सख़्त कार्रवाई करने का प्रावधान है। लेकिन अब तक इस हादसे के बाद किसी भी संबंधित या ज़िम्मेदार अधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। 

बस हादसे को लेकर एक और बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि बस को इतनी लंबी दूरी तय करने की अनुमति कैसे मिल गई? क्योंकि नियमों के मुताबिक 32 सीटर बस को अधिकतम 75 किलोमीटर के रूट पर चलाने की ही इजाजत देने का प्रावधान है। जबकि हादसे का शिकार हुई बस 138 किलोमीटर की दूरी तय करने जा रही थी। सवाल उठता है कि बस को इतनी लंबी दूरी का परमिट किसने और कैसे दे दिया? हादसे के 24 घंटे बाद भी शिवराज सकार इस मामले में नींद से क्यों नहीं जगी है?

सवाल इस बस रूट पर सड़क की हालत को लेकर भी उठ रहे हैं। बताया जा रहा है कि जिस रूट पर बस को जाना था, उस पर सड़क की हालत लंबे अरसे से बेहद बुरी है। उस खस्ताहाल सड़क पर भी अक्सर जाम लगा रहता है। बताया जा रहा है कि हादसे की शिकार बस के ड्राइवर ने भी तय रास्ते को छोड़कर नहर किनारे की संकरी सड़क से जाने का फैसला जाम की वजह से ही किया। रूट बदलकर बस को संकरे रास्ते पर ले जाना ड्राइवर की गलती हो सकती है, लेकिन तय रूट की खस्ताहाल सड़क और उस पर भयानक ट्रैफिक जाम के लिए क्या कोई जिम्मेदार नहीं है? 

प्रदेश में बस हादसों की सूची काफी लंबी है लेकिन हैरानी की बात है सरकार अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पाई है। 2015 में तत्कालीन परिवहन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने सड़क हादसों को लेकर कुछ नियम बनाए। इन्हीं नियमों में हादसे के लिए ज़िम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई के प्रावधान हैं। इसके बाद 3 अक्टूबर 2019 को इंदौर से छतरपुर जा रही बस रायसेन की रिछन नदी में गिर गई थी। इसके बाद तत्कालीन परिवहन गोविन्द सिंह राजपूत ने ही 32 सीटर बस के लिए अधिकतम दूरी 75 किलोमीटर तय कर दी थी। सीधी बस हादसे के समय भी परिवहन मंत्री गोविन्द सिंह राजपूत हैं। लेकिन राजपूत ने दुर्घटनास्थल पर जाने की जहमत तक नहीं उठाई। राजपूत ने शोक मनाने की जगह दावत में रहना ज़्यादा मुनासिब समझा।