BJP में नहीं थम रहा बगावत का सुर, घोषित प्रत्याशी के विरोध में उतरे कटनी नगर निगम के पूर्व अध्यक्ष संतोष शुक्ला

भाजपा उम्मीदवारों की चौथी सूची जारी होने के बाद कटनी से भाजपा की महापौर उम्मीदवार रहीं ज्योति विनय दीक्षित ने भी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।

Publish: Oct 12, 2023, 03:42 PM IST

कटनी। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने सोमवार को उम्मीदवारों की चौथी लिस्ट जारी की थी। लिस्ट जारी होते ही सत्ताधारी दल में बगावत का शुरू है। कटनी से टिकट नहीं मिलने पर पार्टी की मेयर प्रत्याशी रहीं ज्योति विनय दीक्षित ने सैंकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ इस्तीफा दे दिया था। वहीं, अब नगर निगम के पूर्व अध्यक्ष संतोष शुक्ला ने भी बगावती रुख अख्तियार कर लिया है।

नगर निगम के पूर्व अध्यक्ष संतोष शुक्ला ने प्रेस कांफ्रेंस कर घोषित उम्मीदवार संदीप जायसवाल का विरोध किया है। कटनी के प्रभावशाली नेता, पार्षद और कटनी नगर निगम के पूर्व अध्यक्ष संतोष शुक्ला ने पार्टी के फैसले का विरोध करते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ने का संकेत दिया है। इसके पहले कटनी नगर निगम की मेयर कैंडिडेट रह चुकीं ज्योति विनय दीक्षित ने भी साथियों सहित पद और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया था।

संतोष शुक्ला कटनी नगर निगम क्षेत्र में एक जमीनी नेता के रुप में जाने जाते हैं। शुक्ला ने लगातार पांच बार अलग अलग वार्ड से पार्षद पद के लिए जीत दर्ज की है। पिछले कार्यकाल में वे नगर निगम के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। ज्योति विनय दीक्षित के बाद संतोष शुक्ला ने घोषित मुड़वारा प्रत्याशी का विरोध किया है। जिससे विधायक संदीप जायसवाल के लिए राह मुश्किल होती जा रही है। संतोष शुक्ला और ज्योति विनय दीक्षित दोनों संजय पाठक के करीबी माने जाते हैं। संतोष शुक्ला ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मुड़वारा विधानसभा से चुनाव लड़ने के संकेत दिए हैं।

भारतीय जनता पार्टी ने सोमवार को जारी की गई अपनी लिस्ट में कटनी जिले की दो विधानसभा प्रत्याशियों को घोषित किया है। जिले की विजयराघवगढ़ विधानसभा से जहां मौजूदा विधायक संजय पाठक को प्रत्याशी घोषित किया गया है, तो वहीं मुड़वारा विधानसभा से भी मौजूदा विधायक संदीप जायसवाल पर भरोसा जताते हुए भाजपा ने मैदान में उतारा है। मुड़वारा विधानसभा से संदीप जयसवाल दो बार से विधायक हैं। पार्टी में उन्हें फिर तीसरी बार मौका दिया है। अब देखना होगा कि बगावती नेताओं के कारण संदीप जायसवाल की कितनी मुश्किलें बढ़ती हैं।