दिग्विजय सिंह को लोग राजा साहब क्यों कहते हैं, पत्नी अमृता राय ने कहा- वे दिल से राजा हैं
दिग्विजय सिंह आज के जमाने के हिसाब से संत हैं। वे सभी मानवीय गुणों में परफेक्ट हैं, उनमें सिर्फ एक ही कमी है कि वे किसी को नाराज नहीं करना चाहते: अमृता राय
भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हैं। सत्ता वापसी की कोशिश में जुटी कांग्रेस के सभी नेता धुआंधार रैलियां और जनसंपर्क कर रहे हैं। मध्य प्रदेश में कांग्रेस के ब्रह्मास्त्र माने जाने वाले कद्दावर नेता दिग्विजय सिंह चुनाव के आखिरी दिनों में भी जमीनी तौर पर संगठन को मजबूत करने में जुटे हुए हैं ताकि बूथ स्तर पर कांग्रेस की फतह सुनिश्चित की जा सके। इसी बीच दिग्विजय सिंह के निजी जीवन, उनका दिनचर्या और उनके विचार-व्यवहार को लेकर उनकी पत्नी अमृता राय का एक इंटरव्यू तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें वे कहती हैं कि सिंह आज के जमाने के हिसाब से संत हैं।
एबीपी लाइव को दिए इंटरव्यू में पत्रकार अमृता राय ने अपने पति व पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को लेकर कई दिलचस्प किस्से साझा किए हैं। दिनचर्या से जुड़े सवाल के जवाब में अमृता बताती हैं कि सिंह बेहद धार्मिक व्यक्ति हैं और सुबह सबसे पहले योग और पूजा-पाठ करते हैं। वे अक्सर घर से सुबह 9 बजे निकलते हैं और रात में कब आएंगे इसका समय नहीं पता होता। जिस दिन जल्दी आ जाते हैं तो रात के दस बजे, वरना एक-दो भी बज जाते हैं। अमृता कहती हैं इस कारण वह उनसे ज्यादा बातचीत भी नहीं कर पाती हैं।
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अमृता राय कहती हैं कि दिग्विजय सिंह खाने-पीने का भी ध्यान नहीं रखते, सुबह बिना नाश्ता किए चले जाते हैं, लंच के वक्त आते नहीं हैं और रात में कभी दस तो कभी बारह बजे आते हैं। पत्नी होने के नाते उन्हें ये ठीक नहीं लगता। वो हंसकर कहती हैं कि वे ऐसे जुझारू और जुनूनी राजनीतिज्ञ हैं जिनका मन और पेट काम करने में भर जाता है। वे सभी मानवीय गुणों में परफेक्ट हैं, सिर्फ एक ही उनमें कमी है वे किसी को भी नाराज नहीं करना चाहते। इसी कारण जहां उन्हें स्टैंड लेना है वहां भी स्टैंड नहीं लेते, क्योंकि वे सबको खुश रखना चाहते हैं।
अमृता राय आगे कहती हैं, 'दिग्विजय सिंह कभी मुझे परेशान नहीं दिखते। वे बहुत सुलझे हुए और बहुत शांत व्यक्ति हैं। इंसान के रूप में वे एक संत हैं। आज के जमाने में कोई ऐसा व्यक्ति नहीं होगा जिसकी कोई महत्वाकांक्षा न हो, कोई ख्वाहिश न हो, जो सबकी मदद के लिए हमेशा तत्पर हो। वह सबको खुश रखना जानते हैं। विपरीत परिस्थितियों में भी वे बेहद धैर्यवान व्यक्ति हैं। मुझे लगता है कि क्या कभी मैं ऐसा बन सकती हूं कि बहुत गुस्सा आ रहा हो फिर भी मुस्कुराती रहूं। मुझसे ऐसा नहीं हो पाता। वे बहुत ही धैर्यवान हैं। इसलिए मैं कहती हूं कि वे आज के जमाने के हिसाब से संत हैं। मैंने बहुत सारे पूजा पाठ करने वालों को देखा, लेकिन ऐसे लोग कम ही होते हैं जो पूजा किए बगैर अन्न का एक दाना तक न ले। ऐसा तो कोई संत ही होता है।'
ABP को अमृता का साक्षात्कार लेने के लिए धन्यवाद।
— digvijaya singh (@digvijaya_28) November 6, 2023
मैं केवल इतनी भोजपुरी जानता हूँ “का भा”! मेरी माँ बिहार की थीं।मेरी दादी मेवाड़ और मेरी स्व पत्नी हिमाचल कि थीं।
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Digvijay Singh ने Jyotiraditya Scindia को Congress से... | Amrita Rai In... https://t.co/Qu4BgxtMZ9 via @YouTube
अमृता राय कहती हैं कि राजनीति दिग्विजय सिंह के खून में है। मध्य प्रदेश में जब कांग्रेस की सरकार गई और लॉकडाउन लग गया... तब भी वे घर में नहीं थे। वे लोगों को खाना, राशन व अन्य अवश्य सामान बांटने में व्यस्त रहते थे। यहां तक कि जब उन्हें कोविड हुआ और डॉक्टर ने उन्हें 14 दिन क्वारेंटाइन का निर्देश दिया, तब भी वे लगातार फ़ोन पर लगे रहते थे। इस दौरान वे लगभग एक महीने तक घर पर ही थे और वो खुद की परवाह किए बगैर लोगों को अस्पताल में बेड, प्लाज्मा, रेमडेसिविर, ऑक्सीजन और एंबुलेंस दिलाने में व्यस्त रहते थे।
अमृता राय कहती हैं कि दिग्विजय सिंह राजनीति की चलती-फिरती पाठशाला हैं। किसी को राजनीति सीखना-समझना हो तो उनके स्कूल में एडमिशन ले लेना चाहिए। मध्य प्रदेश के लोग उन्हें राजा क्यों कहते हैं, इसके जवाब में अमृता कहती हैं कि लोग उन्हें राजा इसलिए नहीं कहते क्योंकि उनका राजसी बैकग्राउंड है, बल्कि इसलिए कहते हैं कि वे दिल से राजा हैं। किसी का इलाज कराना हो, एडमिशन कराना हो, किसी की बेटी की शादी हो तो लोग इनके पास आते हैं और ये मदद भी करते हैं। मुझे शुरू में राजा शब्द से आपत्ति थी। मैं सोचती थी की हम लोकतांत्रिक प्रणाली में रहते हैं फिर ऐसे सामंती संबोधन क्यों? फिर प्रदेश के लोगों से मेरी बात हुई और उनके फीडबैक के आधार पर मैं कह सकती हूं कि वे दिल से राजा हैं।
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अमृता बताती हैं कि दिग्विजय सिंह सिर्फ अपनों की ही नहीं बल्कि विरोधियों की भी मदद करते हैं। शिवराज सिंह चौहान का जब एक्सीडेंट हुआ था और दिग्विजय जी उस वक्त प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। तब उन्होंने सरकारी प्लेन से शिवराज चौहान को मुंबई भेजकर उनका इलाज कराया था। तब शिवराज उनके न तो दोस्त थे और न ही उतने बड़े नेता थे। ये दिग्विजय सिंह की दरियादिली ही है कि वे अपना-पराया नहीं सोचते। ज्योतिरादित्य सिंधिया से जुड़े सवाल के जवाब में अमृता कहती हैं कि वे सिंधिया का सम्मान करते हैं और जब सिंधिया कांग्रेस में थे तो उनके रिश्ते काफी अच्छे थे। सिर्फ सिंधिया जी का क्या भाजपा का कोई भी नेता आए तो मेरे घर में उनका उतना ही सम्मान होता है। अच्छे इंसान की पहचान भी वही है कि आपका विरोधी भी आपके पास आए तो उसे प्रेम से बिठाईए।
अमृता कहती हैं दिग्विजय सिंह को लोगों के बीच काफी अच्छा लगता है। मुझे अच्छा लगता है कि लोग मेरे पति के पास आते हैं, उन्हें प्यार करते हैं, मेरे हसबैंड इतना क्षमता रखते हैं की उन्हें बार-बार आना पड़ता है। उन्हें एक शब्द में बताना हो तो वे विनोदप्रिय व्यक्ति हैं। कितना भी मुश्किल समय हो उनके चेहरे पर मैंने कोई परेशानी का भाव नहीं देखा। खाने में उन्हें मुंगौडे पसंद हैं। अमृता राय के मुताबिक वे कहीं से गुजर रहे हों तो मुंगेड़े बना दो तो गाड़ी रुक जाएगी। चेन पुलिंग के लिए लोग मुंगेड़े का इस्तेमाल करते हैं।
मध्य प्रदेश में चुनावी माहौल को लेकर एक सवाल के जवाब में अमृता कहती हैं कि प्रदेश का एक-एक व्यक्ति बदलाव चाहता है, हर किसी को बदलाव चाहिए और लोकतंत्र की बुनियादी शर्त भी यही है। सबके जुबान पर एक ही बात है कि बहुत हो गया अब बदलाव चाहिए और बदलाव की शुरुआत हो चुकी है। लाडली बहना योजना को लेकर उन्होंने कहा कि किसी को एक हजार रुपए देकर अपने पक्ष में करना बेहद आसान है। किसी को अच्छा और खुशहाल जीवन देना मुश्किल है। महिलाओं के लिए शिक्षा और नौकरी की व्यवस्था करना आवश्यक है। सुरक्षा और संरक्षण जरूरी है। आज की महिला किसी के आगे हाथ नहीं फैलाना चाहती। महिलाओं को आप हजार रुपए से खरीद नहीं सकते। महिलाओं को स्वछंदता चाहिए, वो अपने पसंद के कपड़े पहन सकें, अपनी मर्जी के लड़के से शादी कर सकें।