Digvijaya Singh: नीतीश कुमार संघ-भाजपा का साथ छोड़ें, बिहार में तेजस्वी को आशीर्वाद दें
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने नीतीश कुमार को याद दिलाई उनकी वैचारिक विरासत, संघ-भाजपा का साथ छोड़कर देश को बचाने के लिए आगे आने की सलाह दी

बिहार के नतीजे सामने आने के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने नीतीश कुमार को उनकी असली सैद्धांतिक पृष्ठभूमि और राजनीतिक विरासत की याद दिलाई है। साथ ही उन्होंने नीतीश को यह सलाह भी दी है कि वो सिर्फ़ बिहार की सियासत करने से आगे बढ़ें और पूरे भारत में धर्मनिरपेक्ष राजनीति को मज़बूत करते हुए देश को बर्बादी से बचाने में अहम भूमिका निभाएं। दिग्विजय सिंह ने नीतीश कुमार को यह सलाह ट्विटर के ज़रिए दी है। इसके अलावा दिग्विजय सिंह ने संघ-भाजपा की अपने सहयोगियों को कमज़ोर करके धीरे-धीरे ख़त्म कर देने वाली प्रवृत्ति के प्रति एनडीए में शामिल दलों को सावधान भी किया है।
दिग्विजय सिंह ने ट्विटर पर लिखा है, “भाजपा ने अपनी कूटनीति से नीतीश का क़द छोटा कर दिया व रामविलास पासवान जी की विरासत को समाप्त कर दिया। सन 67 से ले कर आज तक जनसंघ/भाजपा ने हर गठबंधन सरकारों में अपना क़द बढ़ाया है और सभी समाजवादी धर्मनिरपेक्ष विचारधारा वाले राजनैतिक संघटनों को कमजोर किया है। भाजपा/संघ अमरबेल के समान हैं, जिस पेड़ पर लिपट जाती है वह पेड़ सूख जाता है और वह पनप जाती है। नीतीश जी, लालू जी ने आपके साथ संघर्ष किया है, आंदोलनों में जेल गए है। भाजपा/संघ की विचारधारा को छोड़ कर तेजस्वी को आशीर्वाद दे दीजिए। इस “अमरबेल” रूपी भाजपा/संघ को बिहार में मत पनपाओ।"
भाजपा/संघ अमरबेल के समान हैं, जिस पेड़ पर लिपट जाती है वह पेड़ सूख जाता है और वह पनप जाती है।
— digvijaya singh (@digvijaya_28) November 11, 2020
नितीश जी, लालू जी ने आपके साथ संघर्ष किया है आंदोलनों मे जेल गए है भाजपा/संघ की विचारधारा को छोड़ कर तेजस्वी को आशीर्वाद दे दीजिए। इस “अमरबेल” रूपी भाजपा/संघ को बिहार में मत पनपाओ।
यह भी पढ़ें: Chirag Paswan: चुनाव में JDU को नुकसान पहुंचाना ही था हमारा मुख्य मकसद
वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने नीतीश कुमार को राष्ट्रीय राजनीति में एक बड़ी भूमिका निभाने का सुझाव भी दिया है। उन्होंने नीतीश को संबोधित करते हुए लिखा है,
"नीतीश जी, बिहार आपके लिए छोटा हो गया है, आप भारत की राजनीति में आ जाएँ। सभी समाजवादी धर्मनिरपेक्ष विचारधारा में विश्वास रखने वाले लोगों को एकमत करने में मदद करते हुए संघ की अंग्रेजों के द्वारा पनपाई “फूट डालो और राज करो” की नीति ना पनपने दें। विचार ज़रूर करें। यही महात्मा गॉंधी जी व जयप्रकाश नारायण जी के प्रति सही श्रद्धांजलि होगी। आप उन्हीं की विरासत से निकले राजनेता हैं। वहीं आ जाइए। आपको याद दिलाना चाहूँगा, जनता पार्टी संघ की Dual Membership (दोहरी सदस्यता) के आधार पर ही टूटी थी। भाजपा/संघ को छोड़िए। देश को बर्बादी से बचाइए।”
नितीश जी, बिहार आपके लिए छोटा हो गया है, आप भारत की राजनीति में आ जाएँ। सभी समाजवादी धर्मनिरपेक्ष विचारधारा में विश्वास रखने वाले लोगों को एकमत करने में मदद करते हुए संघ की अंग्रेजों के द्वारा पनपाई “फूट डालो और राज करो” की नीति ना पनपने दें। विचार ज़रूर करें।
— digvijaya singh (@digvijaya_28) November 11, 2020
दिग्विजय सिंह ने नीतीश कुमार और उनकी पार्टी से ही नहीं, देश भर में एनडीए के दूसरे सहयोगी दलों से भी अपनी सियासत पर फिर से विचार करने की अपील की है। उन्होंने लिखा है, “आज देश में एक मात्र नेता राहुल गॉंधी हैं जो विचारधारा की लड़ाई लड़ रहे हैं। NDA के सहयोगी दलों को समझना चाहिए कि राजनीति विचारधारा की होती है। जो भी व्यक्ति अपनी महत्वाकांक्षा के कारण विचारधारा को छोड़कर अपने स्वार्थ के लिए समझौता करता है वह अधिक समय तक राजनीति में ज़िंदा नहीं रहता। मुझे इस बात का दुख है भारत की आज़ादी के बाद के राजनैतिक इतिहास में राजनेताओं की अपनी महत्वकांक्षाओं के कारण विचारधारा गौण हो जाती रही है। कांग्रेस ही एक मात्र दल है जिसने संघ की विचारधारा के साथ ना कभी समझौता किया और ना ही जनसंघ/भाजपा के साथ मिल कर कभी सरकार बनाई।”
दिग्विजय सिंह क्यों करते हैं संघ-भाजपा का विरोध
दिग्विजय सिंह ने आज अपने ट्वीट्स में यह भी बताया है कि वो आरएसएस-भाजपा की विचारधारा का इतना विरोध क्यों करते हैं। उन्होंने ट्विटर पर लिखा है, “मैं संघ की विचारधारा का घोर विरोधी हूँ क्योंकि वह भारत की सनातनी परंपराओं व सनातन धर्म की मूल भावना के विपरीत है। यह देश सबका है। लेकिन फिर भी मैं उनकी इस बात की प्रशंसा भी करता हूँ कि वे अपने लक्ष्य और अपनी विचारधारा के साथ समझौता नहीं करते। केवल समाज को बांटकर राजनीति करते हैं।”
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने आज अपने ट्वीट्स के जरिए ऐसी महत्वपूर्ण बातें कही हैं, जो सिर्फ सत्ता के लिए सियासत करने वाले राजनेता कभी नहीं करते। उनकी इन बातों में देश के सामाजिक ताने-बाने और धर्मनिरपेक्ष संविधान की आत्मा को बचाए रखने की चिंता के साथ ही साथ देश भर के विपक्षी दलों के लिए भविष्य की सार्थक रणनीति के बीज भी मौजूद हैं। बशर्ते वे इन्हें समझने को तैयार हों।