हमारे लिए संविधान भगवद्गीता से ऊपर है, हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाई कोर्ट की टिप्पणी

कर्नाटक के उडुपी के पीयू कॉलेज में छात्राओं को हिजाब पहनकर कॉलेज आने से रोका गया, छात्राओं द्वारा आपत्ति दर्ज कराए जाने के बाद इस पूरे मसले को हिंदू मुस्लिम रंग दे दिया गया और पूरे राज्य में यह विवाद हिजाब बनाम भगवा शॉल में तब्दील हो गया

Updated: Feb 08, 2022, 07:54 AM IST

Photo Courtesy: TV 9  Bharatvarsh
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बेंगलुरु। छात्राओं को हिजाब पहनकर कॉलेज जाने से रोकने के मामले में कर्नाटक हाई कोर्ट में सुनवाई जारी है। सुनवाई के बीच कर्नाटक हाई कोर्ट ने एक अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह स्पष्ट तौर पर कह दिया है कि कोर्ट के लिए देश का संविधान भगवद्गीता से ऊपर है और कोर्ट संविधान के अनुरूप ही चलेगा। 

हिजाब विवाद से जुड़ी याचिका की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति कृष्ण एस दीक्षित ने कहा कि सभी भावनाओं को किनारे रख दें। हम संविधान के अनुरूप ही चलेंगे। क्योंकि हमारे लिए संविधान भगवद्गीता से ऊपर है। मैंने संविधान की शपथ ली है और मैं उसी का पालन करूंगा।

कर्नाटक हाई कोर्ट में छात्राओं के एक समूह ने रिट याचिका दाखिल की है। जिसमें उन्होंने हिजाब पहनकर कॉलेज में प्रवेश रोकने को उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करार दिया है। छात्राओं का कहना है कि हिजाब पहनने का अधिकार संविधान द्वारा प्रदान किए गए मौलिक अधिकारों के तहत आता है। और हिजाब पहनने से रोकना संविधान के अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 25 का उल्लंघन है।

यह पूरा विवाद कर्नाटक के उडुपी स्थित पीयू कॉलेज से शुरू हुआ। जब कॉलेज प्रशासन ने मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनकर कॉलेज आने पर रोक लगा दी। जिसका छात्राओं ने भारी विरोध किया। हालांकि छात्राओं के विरोध में जल्द ही एक अलग धड़ा खड़ा हो गया और कॉलेज में भगवा शॉल पहनकर आने पर ज़ोर देने लगा। 

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इस पूरे विवाद ने ज़ोर पकड़ा और पूरे कर्नाटक राज्य में पहुंच गया। छात्राओं के भारी विरोध के बाद कॉलेज प्रशासन ने उन्हें हिजाब पहनकर प्रवेश करने की अनुमति तो दे दी। लेकिन उनके लिए अलग कमरों में बैठाए जाने की व्यवस्था भी कर दी। जिसके बाद कॉलेज प्रशासन पर धार्मिक आधार पर छात्राओं का बंटवारा करने का आरोप लगा। इसी बीच यह पूरा मामला कर्नाटक हाई कोर्ट के संज्ञान में आ गया, जिस पर कर्नाटक हाई कोर्ट में सुनवाई जारी है।