नागालैंड: 14 निर्दोष नागरिकों की हत्या मामले में चार्जशीट दायर, SIT ने सेना के 30 जवानों को बनाया आरोपी

पिछले साल दिसंबर में सेना द्वारा किए गए फायरिंग में हुई थी 14 नागरिकों की मौत, मामले की जांच कर रही एसआईटी ने आरोपपत्र अदालत को सौंप दिया है, नागालैंड पुलिस ने सेना के 30 जवानों को आरोपी बनाया है

Updated: Jun 11, 2022, 11:48 AM IST

नई दिल्ली। पिछले साल नागालैंड में 14 निर्दोष नागरिकों की हत्या मामले में SIT ने चार्जशीट दायर कर दिया है। नागालैंड पुलिस ने चार्जशीट में भारतीय सेना के 30 जवानों को आरोपी बनाया है। एसआईटी की जांच में कहा गया है कि घात लगाए 21 पैरा स्पेशल फोर्स के सैनिकों ने एसओपी का पालन नहीं किया था और ताबड़तोड़ निर्दोष नागरिकों पर फायरिंग शुरू कर दी।

नागालैंड सरकार ने केंद्र सरकार से चार्जशीट में नामजद सेना के जवानों के खिलाफ कार्रवाई की इजाजत मांगी है। राज्य की पुलिस ने भी रक्षा मंत्रालय को पत्र भेजकर कार्रवाई की मंजूरी मांगी है। इस हत्याकांड पर सेना की तरफ से भी कोर्ट ऑफ इंक्वायरी की जा रही है। सेना की एक टीम ने कुछ ही दिन पहले घटनास्थल पर जा कर गांव का दौरा किया था। 

यह भी पढ़ें: रांची में हिंसा के दौरान घायल दो युवकों की मौत, गोली लगने से हुए थे घायल, UP में 200 से ज्यादा गिरफ्तार

बता दें कि इस हत्याकांड को लेकर देश के गृहमंत्री अमित शाह संसद में अफसोस जता चुके हैं। अमित शाह ने शीतकालीन सत्र के दौरान सदन में कहा था कि, 'भारतीय सेना को नागालैंड के मोन जिले में उग्रवादियों की आवाजाही की सूचना मिली थी। इसके आधार पर सेना के 21 पैरा कमांडो के एक दस्ते ने 4 दिसंबर 2021 को संदिग्ध क्षेत्र में एम्बुश लगाया था। इस दौरान एक वाहन एम्बुश के स्थान के समीप पहुंचा जिसने रुकने का इशारा करने पर तेजी से निकलने की कोशिश की। आशंका के आधार पर वाहन पर गोलियां चलाई गई। इस दौरान 8 व्यक्तियों में से 6 की मौके पर मौत हो गई। बाद में यह गलत पहचान का मामला पाया गया।'

शाह ने आगे कहा था कि, 'इस घटना के बाद स्थानीय लोगों ने सेना की टुकड़ी को घेर लिया और वाहनों को जला दिया। सुरक्षाबलों ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए गोलियां चलानी पड़ी। जिसकी वजह से 7 और लोगों की मौत हो गई तथा कुछ अन्य घायल हो गए। इस घटना में सुरक्षाबल के एक जवान की भी मौत हुई।' विपक्षी दलों ने तब इस घटना को लेकर सदन में घोर आपत्ति जताते हुए हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज के देखरेख में जांच की मांग की थी। 

गौरतलब है कि नागालैंड उन राज्यों में शामिल है जहां पर अफस्पा कानून लागू है। इस कानून के तहत सुरक्षा बलों पर केंद्र की मंजूरी के बिना कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती है। भारतीय सेना पर कई बार अफस्पा का दुरुपयोग करने के आरोप रहे हैं। हाल ही में गृहमंत्री अमित शाह ने बताया था कि  असम, मणिपुर व नागालैंड में AFSPA के तहत आने वाले इलाके घटा दिए गए हैं। केंद्र की तरफ से यह फैसला नागालैंड में हुई इसी घटना के बाद ही उठाया गया था।