देशद्रोह के मामले में बरी हुए एक्टिविस्ट अखिल गोगोई, NIA कोर्ट ने दिया रिहाई का आदेश

किसान नेता, एक्टिविस्ट और असम के शिबसागर से विधायक अखिल गोगोई के खिलाफ आपराधिक साजिश, देशद्रोह, दुश्मनी को बढ़ावा देने, राष्ट्रीय अखंडता के खिलाफ गतिविधियों और आतंकवादी संगठन को समर्थन देने के तहत मामले दर्ज थे

Updated: Jul 01, 2021, 11:22 AM IST

Photo Courtsey : sabrang
Photo Courtsey : sabrang

गुवाहाटी। किसान नेता, एक्टिविस्ट और असम के शिबसागर से निर्दलीय विधायक अखिल गोगोई को UAPA मामले में बरी कर दिया गया है। NIA कोर्ट द्वारा CAA विरोध प्रदर्शन से जुड़े दूसरे मामले में भी बरी किए जाने के बाद गोगोई को आज जेल से रिहा करने का आदेश जारी कर दिया गया है। एक साल से ज्यादा समय से जेल में बंद गोगोई ने नागरिकता कानून के खिलाफ असम में केंद्र सरकार के खिलाफ बिगुल फूंका था। इसी वजह से उन्हें राष्ट्रद्रोही करार देते हुए सरकार ने UAPA के तहत जेल में डाल दिया था।

अखिल के वकील कृष्णा गोगोई ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि अखिल अब सभी आरोपों से मुक्त हो गए हैं। उनके रिहाई का लेटर जेल में भेज दिया गया है और जल्द ही वे बाहर आएंगे। रिपोर्ट्स के मुताबिक जेल से छूटने के बाद अखिल सैम स्टेफोर्ड के घर जाएंगे। सैम 17 साल के छात्र थे जिनकी मौत नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान पुलिस की गोली लगने से हुई थी।

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गोगोई और उनके तीन साथी धिरज्या कुंवर, मानस कुंवर और बीटू सोनोवाल गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून, 1967 के तहत दो मामलों में आरोपी थे। NIA कोर्ट ने पहले मामले में 22 जून को उन्हें आरोपों से मुक्त कर दिया था। CAA विरोड़ी आंदोलन के दौरान राष्ट्रीय जांच एजेंसी NIA ने गोगोई के खिलाफ आपराधिक साजिश, देशद्रोह, धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने, राष्ट्रीय अखंडता के खिलाफ गतिविधियों और आतंकवादी संगठन को समर्थन देने को लेकर मामले दर्ज किए थे। 

हालांकि, NIA किसी भी मामले में गोगोई के खिलाफ आरोप सिद्ध नहीं कर पाई। इसके पहले अखिल गोगोई केंद्रीय जांच एजेंसी NIA पर सनसनीखेज आरोप लगाया था। गोगोई ने कहा था कि एनआईए ने उन्हें जमानत के बदले RSS ज्वॉइन करने का प्रस्ताव दिया था। गोगोई के मुताबिक एनआईए अधिकारियों ने उन्हें धमकी दी कि यदि वे RSS से नहीं जुड़ेंगे तो फिर 10 साल जेल में कैद रहना होगा। 

जेल में दी गई यातनाएं

गोगोई द्वारा गठित रायजोर दल द्वारा जारी पत्र में यह खुलासा किया गया था कि गोगोई को अदालत की अनुमति के बिना 18 दिसंबर, 2019 को दिल्ली ले जाया गया था। यहां उन्हें गंभीर यातनाएं दी गईं। उन्हें तीन-चार डिग्री सेल्सियस तापमान में जमीन पर सुलाया गया। इतना ही नहीं एनआईए अधिकारियों ने उन्हें बीजेपी में शामिल होकर मंत्री बनने तक का ऑफर दिया। हालांकि, गोगोई ने इस प्रस्ताव को अपमानजनक करार देते हुए ठुकरा दिया। गोगोई का दावा है कि एनआइए के अधिकारियों ने उन्हें एक एनजीओ खोलने का भी प्रस्ताव दिया। इस प्रस्ताव के तहत उन्हें असम के लोगों के इसाई धर्म में धर्मांतरण के खिलाफ काम करने को कहा गया था जिसके लिए उन्हें 20 करोड़ रुपए दिए जाते। 

अखिल गोगोई की असम में स्वीकार्यता का इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस साल हुए विधानसभा चुनाव में जेल में रहते हुए उन्होंने जीत हासिल की और पहली बार विधायक बने। माना जाता है कि गोगोई की इस जीत में उनकी 84 वर्षीय मां प्रियदा गोगोई ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रियदा द्वारा अपने बेटे के पक्ष में किया गया भावनात्मक प्रचार रंग लाया और जनता ने उन्हें अपना विधायक चुना। अखिल की मां इस वक़्त बीमार हैं, और उनके बेटे भी कोविड-19 के चपेट में आ गए हैं। इसी वजह से कोर्ट ने पिछले हफ्ते उन्हें 48 घंटे का पैरोल दिया था।