सांसदों का ही नहीं लोकतंत्र का निलंबन हुआ, यह मर्डर ऑफ डेमोक्रेसी है: जयराम रमेश

अगर हमने आपका बयान मांगा तो आपने हमें सदन से निलंबित कर दिया- यह किसी को स्वीकार्य नहीं है। हम इसके लिए लड़ना जारी रखेंगे: प्रियंका चतुर्वेदी

Updated: Dec 18, 2023, 06:51 PM IST

नई दिल्ली। संसद की सुरक्षा में चूक की घटना को लेकर दोनों सदन में आज जमकर बवाल देखने को मिला। विपक्ष की आवाज दबाने के लिए केंद्र की मोदी सरकार द्वारा एक दिन में ही 78 सांसदों को सस्पेंड कर दिया गया। इनमें लोकसभा के 33 और राज्यसभा के 45 विपक्षी सांसद शामिल हैं। इसी के साथ इस सत्र में अबतक कुल 92 सांसद सस्पेंड किए जा चुके हैं। सांसदों के विरुद्ध निलंबन की कार्रवाई पर कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने तल्ख टिप्पणी की है।

जयराम रमेश ने ट्वीट किया, '13 दिसंबर को हुई ख़तरनाक सुरक्षा चूक पर गृहमंत्री से बयान देने की मांग करने की वजह से 14 दिसंबर को INDIA के 13 सांसदों को लोकसभा से निलंबित कर दिया गया था।
आज INDIA के 33 और सांसदों को पूरी तरह से वैध मांग करने के लिए लोकसभा से निलंबित कर दिया गया। इनमें कई फ्लोर लीडर भी हैं। तानाशाही का दूसरा नाम मोदीशाही है। यह सिर्फ सांसदों का नहीं लोकतंत्र का निलंबन है।'

उन्होंने एक अन्य ट्वीट में लिखा, 'सिर्फ़ लोकसभा में ही नहीं आज राज्यसभा में भी ब्लडबाथ हुआ और 13 दिसंबर को हुई सुरक्षा चूक पर गृह मंत्री के बयान की मांग करने और नेता प्रतिपक्ष को बोलने की इजाज़त देने की मांग करने पर INDIA की पार्टियों के 45 सांसदों को निलंबित कर दिया गया। मैं भी अपने 19 साल के संसदीय करियर में पहली बार इस सम्मान सूची में शामिल हूं। यह Murder Of Democracy in India है (MODI)!

वहीं, मामले पर कांग्रेस सांसद संसद रंजीत रंजन ने कहा, 'BJP सरकार चाहती है कि सदन विपक्ष विहीन चले। कोई भी विपक्ष का व्यक्ति उनकी गलत नीतियों को बताकर उनसे कोई प्रश्न न पूछे। इसलिए उन्होंने लोकसभा में 47 और राज्यसभा में 32-33 लोगों को सस्पेंड कर दिया है।'

सांसदों के निलंबन पर शिवसेना (UBT) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, 'ऐसी तानाशाही नहीं चलेगी। यह देश को स्वीकार्य नहीं है। जनता के विश्वास पर उन्हें यह जनादेश मिला है। उन्हें जनादेश इसलिए मिला क्योंकि उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा को एक महत्वपूर्ण मुद्दा माना था। लेकिन आज सबसे सुरक्षित इमारत पर हमला हो रहा है। इस पर न तो प्रधानमंत्री बोलते हैं और न ही गृह मंत्री, अगर हमने आपका बयान मांगा तो आपने हमें सदन से निलंबित कर दिया- यह किसी को स्वीकार्य नहीं है। हम इसके लिए लड़ना जारी रखेंगे...अगर हमें निलंबित किया जा रहा है क्योंकि हम (बयान) मांग रहे हैं, तो यह हमारे लिए सम्मान का प्रतीक है।'