Rajasthan: कांग्रेस के खिलाफ बसपा का व्हिप

Rajasthan Political Crisis: सुप्रीम कोर्ट में स्पीकर की याचिका पर सुनवाई, जयपुर हाईकोर्ट में बसपा के 6 विधायकों के कांग्रेस में विलय के खिलाफ सुनवाई

Updated: Jul 27, 2020, 11:44 PM IST

जयपुर। राजस्थान में चल रहे सियासी संकट के बीच  रविवार को बहुजन समाज पार्टी ने अपने छह विधायकों के लिए व्हिप जारी कर कहा है कि अगर मतदान की स्थिति बनती है तो वे कांग्रेस सरकार के खिलाफ वोट करें। पिछले साल अगस्त में इन विधायकों ने कांग्रेस के साथ विलय कर लिया था। इस मामले पर आज जयपुर हाई कोर्ट में सुनवाई होगी। वहीं सप्रीम कोर्ट स्पीकर सीपी जोशी की सचिन पायलट खेमे के विधायकों को भेजे गए नोटिस के मामले पर सुनवाई करेगा।

बीजेपी विधायक मदन दिलावर ने राजस्थान हाईकोर्ट में शुक्रवार को याचिका दायर कर बसपा के छह विधायकों के कांग्रेस के साथ हुए विलय को रद्द करने का अनुरोध किया है। इस याचिका में विधानसभा अध्यक्ष की निष्क्रियता को भी चुनौती दी गई है। शिकायत है कि अध्यक्ष ने बहुजन समाज पार्टी के विधायकों को विधानसभा से अयोग्य ठहराने के उनके अनुरोध पर कोई निर्णय नहीं लिया है। उच्च न्यायालय सोमवार को इस याचिका पर सुनवाई करेगा।

देशभर में राजभवन के सामने प्रदर्शन

राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि सोमवार को कांग्रेस सेव डेमोक्रेसी सेव कॉन्सटीट्यूशन मुहीम के तहत देशभर में राजभवन के सामने प्रदर्शन करेगी। राजस्थान में प्रदर्शन नहीं होगा। भोपाल में भी लॉकडाउन के कारण प्रदर्शन नहीं होगा।  

रविवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधानसभा का सत्र बुलाने के लिए राज्यपाल कलराज मिश्र को नया प्रस्ताव भेजा है। सीएम ने इस नए प्रस्ताव में फ्लोर टेस्ट कराने का जिक्र नहीं करते हुए सत्र का एजेंडा कोरोना वायरस महामारी पर चर्चा करना रखा है। राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि वह इसे नए प्रस्ताव की जांच-पड़ताल कर रहे हैं। 

गहलोत 31 जुलाई को बुलाना चाहते हैं सत्र

सीएम गहलोत 31 जुलाई से विधानसभा का विशेष सत्र बुलाना चाहते हैं। राज्यपाल कलराज मिश्र ने बताया है कि विधानसभा का सत्र बुलाने का एजेंडा कोरोना वायरस है वहीं इसमें फ्लोर टेस्ट जैसा शब्द नहीं है। साथ ही उन्होंने कहा कि प्रस्ताव में सत्र बुलाने की तारीख और कारण का भी उल्लेख नहीं किया गया है। शुक्रवार को राज्यपाल सत्र बुलाने के एक प्रस्ताव को खारिज कर चुके हैं। राजस्थान का यह सियासी संग्राम अब चुनी हुई सरकार बनाम राज्यपाल हो गया है। ऐसे में अब सवाल उठता है कि क्या राज्यपाल विधानसभा सत्र बुलाने को लेकर सीएम की नेतृत्व वाली मंत्रिपरिषद की सलाह को मानने के लिए बाध्य हैं या अपने विवेक से फैसला ले सकते हैं?

क्या कहता है संविधान? 

संविधान के जानकारों का मानना है कि राज्यपाल मंत्रिमंडल के सलाह को मानने के लिए बाध्य हैं। लेकिन जब विवाद यह हो कि सीएम के पास कितने विधायकों का समर्थन है ऐसे में राज्यपाल फ्लोर टेस्ट का आदेश या विधायकों को बुलाकर बात कर सकते हैं। हालांकि गहलोत को दावा है कि उनके पास विधानसभा में बहुमत है ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों में यह कहा गया है कि मंत्रिमंडल के सलाह पर विधानसभा का सत्र बुलाया जाएगा। राज्यपाल आर्टिकल 174 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए, सरकार की विधानसभा बुलाने की सलाह को टाल सकते हैं या फिर देरी कर सकते हैं। लेकिन ऐसा तभी किया जा सकता है जब सरकार को बहुमत पर संदेह हो।

वहीं संविधान के अनुच्छेद 163 में कहा गया है कि सीएम के नेतृत्व वाली मंत्रिपरिषद राज्यपाल को सहायता और सलाह देगी, लेकिन तब नहीं जब उन्हें संविधान के तहत अपना विवेकाधिकार इस्तेमाल करने की जरूरत होगी। वहीं अनुच्छेद 153 के तीसरे खंड में कहा गया है कि सदन को बुलाने की शक्तियों का इस्तेमाल राज्यपाल अपने विवेक से करेंगे। 

लोकतांत्रिक सरकार के अंदर पैदा की जा रही हैं रुकावटें: अजय माकन 

कांग्रेस नेता अजय माकन ने राजस्थान में जारी सियासी संकट को लेकर बीजेपी और राज्यपाल को निशाने पर लिया है। माकन ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि राजस्थान में जनता के द्वारा चुनी हुई लोकतांत्रिक सरकार के अंदर रुकावटें पैदा की जा रही है। उन्होंने कहा कि अबतक के लोकतांत्रिक इतिहास में कभी भी विधानसभा अध्यक्ष के नोटिस को नहीं रोका गया है। ऐसा भी कभी नहीं हुआ है कि चुनी हुई लोकतांत्रिक सरकार विधानसभा सत्र बुलाना चाहती हो और उसके अंदर रुकावटें पैदा की जा रही हैं।