शाहजहांपुर बॉर्डर पर बैठे किसानों का सब्र टूटा, बैरिकेडिंग तोड़ हरियाणा में घुसे

राजस्थान-हरियाणा के बॉर्डर पर आज शाम किसानों का सब्र टूट गया, गुस्साए किसान दर्जनों ट्रैक्टरों से पुलिस बैरिकेडिंग को तोड़ते हुए हरियाणा में घुसे और दिल्ली की ओर रवाना हो गए

Updated: Jan 01, 2021, 01:32 AM IST

Photo Courtesy : Patrika
Photo Courtesy : Patrika

शाहजहांपुर। राजस्थान-हरियाणा के शाहजहांपुर बॉर्डर पर कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन पर बैठे किसानों के सब्र का बांध आज टूट गया। आंदोलनकारी किसान आज वहां लगे तमाम पुलिस बैरिकेडिंग को तोड़ते हुए हरियाणा में घुस गए और दिल्ली की ओर रवाना हो गए। हालांकि इस दौरान पुलिस ने किसानों पर काफी बलप्रयोग किया लेकिन वह आगे बढ़ते रहे।

रिपोर्ट्स के मुताबिक गुरुवार दोपहर करीब 2 बजे किसानों के एक ग्रुप ने ठान लिया कि वह दिल्ली जाकर रहेंगे। इसके बाद 300 से ज्यादा किसान तकरीबन तीन दर्जन ट्रैक्टर पर सवार होकर आगे बढ़ने लगे। इस दौरान उन्होंने पुलिस के आंसू गैस के गोले और लाठीचार्ज को झेलते हुए बैरिकेडिंग तोड़ डाली और हरियाणा में घुस गए। इसके बाद वह दिल्ली कूच के लिए आगे बढ़ गए।

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इस दौरान किसानों पर पुलिस के बलप्रयोग की कई तस्वीरें सामने आईं, जिनमें हरियाणा की पुलिस किसानों को घेरकर पीटती नज़र आई। बावजूद इसके किसान डटे हुए दिखाई दिए। बताया जा रहा है कि किसानों के इस जत्थे के आखिरी दो ट्रैक्टर को खट्टर सरकार की पुलिस ने रोक लिया और किसानों पर बेरहमी से लाठियां बरसाईं।  इतना ही नहीं, पुलिस ने इन किसानों को हिरासत में लेकर उनके ट्रैक्टर्स को बुरी तरह क्षतिग्रस्त भी कर दिया है। 

किसानों ने अपने हाथों से हटा दिए भारी पत्थर

किसानों को रोकने के लिए पुलिस ने वहां भारी पत्थर रखे थे। लेकिन किसानों ने ट्रैक्टर से उतर कर कुछ ही मिनटों में उन्हें हटाकर किनारे लगा दिया। किसान एकता जिंदाबाद के उद्घोष के साथ किसानों ने पत्थर फेकने के बाद फिर ट्रैक्टर का स्टेयरिंग संभाला और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए हरियाणा में प्रवेश कर गए। इस दौरान उन्हें रुके रहने की चेतावनी भी दी गई लेकिन उन्होंने सारी बातों को अनसुना कर दिया। 

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गौरतलब है कि पिछले 36 दिनों से देशभर के किसान अपनी मांगों को लेकर कड़कड़ाती ठंड में घर से दूर सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों की सरकार से मांग है कि विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लिया जाए। किसान संगठन के नेता सरकार से कई दौर की बातचीत भी कर चुके हैं, लेकिन केंद्र की मोदी सरकार कानूनों को वापस नहीं लेने पर अड़ी हुई है। ऐसे में किसान संगठनों ने भी ऐलान किया है कि जबतक यब कानून वापस नहीं हो जाते वह सड़कों पर डटे रहेंगे।