क्या 50 फीसदी से ज़्यादा होना चाहिए आरक्षण, सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों 50 फ़ीसदी से ज़्यादा आरक्षण देने के मसले पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए 15 मार्च तक का समय दिया है

Updated: Mar 08, 2021, 09:32 AM IST

Photo Courtesy : Business World
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नई दिल्ली। मराठा आरक्षण से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों से जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यों वाली संविधान पीठ ने राज्य सरकारों से आरक्षण की सीम पर अपनी राय लिखकर देने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों से पूछा है कि 50 फीसदी से ज़्यादा आरक्षण की व्यवस्था को लागू किया जा सकता है या नहीं? उच्चतम न्यायलय ने अपना जवाब दाखिल करने के लिए राज्य सरकारों को 15 मार्च तक का समय दिया है।

15 मार्च से रोज़ाना होगी मामले की सुनवाई 
मराठा आरक्षण से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज से अपनी सुनवाई शुरू कर दी है। आज जब मामले की सुनवाई चल रही थी, उस दौरान मुकुल रोहतगी ने कोर्ट से कहा कि इस मामले में पहले सभी राज्यों से पूछ लेना ठीक होगा, क्योंकि इस मामले में अनुच्छेद 342(A) भी शामिल है जो सभी राज्यों को प्रभावित करेगा। कोर्ट ने रोहतगी के तर्क से सहमति जताते हुए सभी राज्य सरकारों को 15 मार्च तक अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दे दिया। कोर्ट ने कहा कि 15 मार्च से अब इस मामले की रोज़ाना सुनवाई होगी।  

क्या है मामला 
दरअसल सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र सरकार द्वारा मराठाओं के लिए लागू की गई आरक्षण व्यवस्था से जुड़े मामले की सुनवाई हो रही है। 2018 में महाराष्ट्र की तत्कालीन देवेंद्र फडणवीस सरकार ने शिक्षा और राज्य सरकार के अधीन आने वाली नौकरियों में मराठाओं के लिए 16 फीसदी आरक्षण देने की व्यवस्था लागू की थी। इसके बाद इस कानून के खिलाफ मामला बॉम्बे हाई कोर्ट होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा। पिछले साल सितम्बर महीने में सुप्रीम कोर्ट ने 2020-21 के सत्र के दौरान मराठा आरक्षण की इस व्यवस्था पर रोक लगा दी थी। 

उच्च्चतम न्यायालय की तीन सदस्यों वाली बेंच ने इस मामले की सुनवाई करने की ज़िम्मेदारी पांच सदस्यों की  बेंच को सौंपी है। जिसे मराठा आरक्षण की वैधता पर विचार करना है। इसी मामले की सुनवाई के संदर्भ में कोर्ट ने राज्य सरकारों से जवाब मंगाए हैं।