विश्व प्रेस सूचकांक: भारत आठ पायदान खिसककर 150 वें स्थान पर पहुंचा, नॉर्वे लगातार पांचवे साल पहले स्थान पर

भारत में भाजपा और मीडिया पर हावी बड़े उद्योगपति प्रेस को करते हैं नियंत्रित: रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स

Updated: May 04, 2022, 11:20 AM IST

रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स ने मंगलवार को विश्व प्रेस सूचकांक की रिपोर्ट जारी की है। इसमें भारत को 180 देशों में से आठ स्थानों की गिरावट के साथ 150 वां स्थान दिया गया है। दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र पत्रकारिता का सबसे गिरा हुआ दौर देख रहा है। पत्रकारिता के स्तर में ये गिरावट 2016 से लगातार दर्ज की जा रही है। लेकिन 2022 में इसमें भारी गिरावट दर्ज की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में भाजपा और मीडिया पर हावी बड़े उद्योगपति प्रेस को नियंत्रित करते हैं।

इस रिपोर्ट में भारत के पड़ोसी देशों का और बुरा हाल है। चीन का स्थान 175वां है, हालांकि चीन ने दो पायदान का सुधार किया है। पाकिस्तान 12 पायदान नीचे खिसक कर 157वें स्थान पर पहुंच गया है। वहीं बांग्लादेश 10 स्थानों की गिरावट के साथ 162 वें स्थान पर है। पड़ोसी देशों में श्रीलंका और नेपाल भारत से बेहतर स्थित में है। श्रीलंका 19 स्थानों के नुकसान के साथ 146 वें स्थान पर है तो नेपाल 30 स्थानों के सुधार के साथ 106 वें स्थान पर है।

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रिपोर्ट में जिन देशों को पत्रकारिता के लिहाज से सबसे सुरक्षित देश की श्रेणी में रखा गया है उनमें नॉर्वे ने लगातार पांचवे साल पहले स्थान पर कब्जा जमाया हुआ है। वहीं दूसरे नंबर पर डेनमार्क, तीसरे पर स्वीडन, चौथे पर इस्टोनिया और पांचवे स्थान पर फिनलैंड, छठे पर आयरलैंड, सातवें पर पुर्तगाल, आठवें पर कोस्टा रिका, लुथियाना को नौवा और लिकटेंस्टाइन को दसवां स्थान दिया गया है। इन देशों में पत्रकारिता करना बहुत आसान बताया गया है।

साल 2016 के बाद भारत की रैंकिंग में लगातार गिरावट दर्ज की गई है। साल 2016 में भारत का स्थान 133वां था, जो साल 2017 में खिसककर 136 वें स्थान पर आ गया। साल 2018 में 138वें, 2019 में 140वें, साल 2020 और 2021 में 142 स्थान पर था। रिपोर्ट में इस साल आठ पायदान नीचे खिसकने के पीछे की वजह पत्रकारों के खिलाफ हिंसा, मीडिया स्वामित्व की एकाग्रता, राजनीतिक रूप से पक्षपातपूर्ण मीडिया को बताया गया है। 

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रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार के तानाशाही के कारण जनवरी से अब तक 13 पत्रकारों को जेल पहुंचाया जा चुका है। यहां तक कि एक पत्रकार की हत्या भी की जा चुकी है। भारत में पत्रकारिता करना बेहद चुनौतीपूर्ण काम है। रिपोर्ट में कोरोना महामारी के दौरान पत्रकारों के खिलाफ की गई कार्यवाही का जिक्र भी किया गया है। कहा गया है कि सरकार ने महामारी के दौरान मीडिया कवरेज का खंडन किया और 55 पत्रकारों के खिलाफ मुकदमा दायर कर उन्हें गिरफ्तार किया। साथ ही कहा कि सोशल मीडिया पर हत्या और घृणा के अभियान चलाए जाते हैं। इन अभियानों में महिला पत्रकारों को टारगेट किया जाता है। 

बता दें कि रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स यानि RSF हर साल वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स जारी करता है। अलग-अलग देशों में मीडिया की आजादी पर रिपोर्ट जारी करता है। इसका मुख्य कार्यालय पेरिस में है। RSF साल 2002 से लगातार वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स जारी कर रहा है।