जीरे की खेती से 50 करोड़ का सालाना टर्नओवर, जानें राजस्थान के इस किसान ने कैसे कमाए करोडों रुपए

राजस्थान के योगेश ने 10 साल पहले शुरू की थी जीरे की खेती, तीन हजार से ज्यादा किसान जुड़े हैं, चार हजार एकड़ की जमीन पर कर रहें हैं खेती

Publish: Jan 10, 2021, 08:38 PM IST

Photo Courtesy : Bhaskar
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जालोर। आप यदि खेती में हाथ आजमाना चाहते हैं और इस बात को लेकर उहापोह में हैं कि कौन सी फसल बोने से आपको बढ़िया मुनाफा मिलेगा तो आप बिना सोचे जीरे की खेती कर सकते हैं। जीरे की खेती में लाखों नहीं करोडों का मुनाफा कमाया जा सकता है और इसे साबित कर दिखाया है राजस्थान के जालोर में रहने वाले किसान योगेश जोशी। दिलचस्प बात यह है कि योगेश का सालाना टर्नओवर भी एक दो करोड़ नहीं बल्कि पूरे 50 करोड़ रुपए का है।

11 साल पहले शुरू की थी खेती

योगेश ने खेती में कदम करीब 11 साल पहले रखी थी। वे बताते हैं कि घर वाले चाहते थे कि वे पढ़ लिखकर नौकरी करें। लेकिन एग्रीकल्चर से ग्रेजुएट होने के बाद उन्होंने तय ही कर लिया कि वे खेती करेंगे। वे बताते हैं कि ग्रेजुएशन के बाद वह ऑर्गेनिक फार्मिंग में डिप्लोमा करने के बाद 2009 से खेती के काम में लग गए। योगेश के पास इस दौरान यह तय करना मुश्किल था कि वह किस चीज की खेती करें। चूंकि, जीरा एक कैश क्रॉप है जिसे कभी भी बेचा जा सकता है इसलिए उन्होंने जीरे की खेती को चुना।

पहली बार में नहीं मिली सफलता

योगेश बताते हैं कि पहली बार उन्होंने एक एकड़ जमीन में खेती किया लेकिन उस दौरान उन्हें मुनाफा के बजाए उल्टा नुकसान हो गया। लेकिन इसके बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। योगेश को पता था कि उनके पास अनुभव और सलाह की कमी है। वे सेंट्रल एरिड जोन रिसर्च इंस्टीट्यूट के कृषि वैज्ञानिक डॉ अरुण शर्मा की मदद ली। शर्मा ने उन्हें और उनके गांव के काफी लोगों को ट्रेनिंग दिया और जीरा की खेती से जुड़े सभी गुर सिखाए। नतीजतन अगले वर्ष से ही उन्हें मुनाफा होने लगा।

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इसके बाद योगेश ने खेती का दायरा बढ़ाया। जीरा के अलावे सौंफ, धनिया, मेथी व कलौंजी जैसे मसालों की भी खेती शुरू कर दी। ऑनलाइन मार्केटिंग टूल्स के इस्तेमाल से देश-विदेश के कई कंपनियों के साथ जुड़े। प्रोडक्ट्स का रेस्पॉन्स बढ़िया मिलने के बाद उन्होंने अपने जीरे की सप्लाई जापान से लेकर अमेरिका तक शुरू कर दी। ऑर्गेनिक खेती को बिजनेस का रूप देने के लिए उन्होंने रैपिड ऑर्गेनिक कंपनी बनाई। जिसके जरिए उनकी कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा किसानों को इसमें जोड़ा जाए और उन्हें अच्छा मुनाफा दिलाया जा सके। शुरुआत में किसान उनके साथ जुड़ने से कतराते थे, लेकिन अब वो खुद ही जुड़ने के लिए उत्सुक रहते हैं।

योगेश बताते हैं कि पिछले 5-7 वर्षों में हमारे समूह के 1000 किसान ऑर्गेनिक सर्टिफाइड हो चुके हैं। ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन होने पर तो किसानों की उपज बेचने में आसानी होती है। जिन किसानों के पास सर्टिफिकेशन नहीं होता, उन्हें दिक्कत होती है। वो बताते हैं कि ऐसे कई किसान हैं, जो आर्गेनिक खेती करते तो हैं, लेकिन वे अपने प्रोडक्ट बेच नहीं पाते हैं।

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योगेश वर्तमान में दो कंपनियों को चला रहे हैं। एक के जरिए वे किसानों को ट्रेनिंग देते हैं। उन्हें खेती के बारे में जानकारी देते हैं, मेडिकल कैंप, एजुकेशनल कैंप और ट्रेनिंग कैंप लगवाते हैं। उनकी दूसरी कंपनी प्रोडक्शन और मार्केटिंग का काम देखती है। उनकी टीम में अभी 50 लोग काम कर रहे हैं। योगेश की पत्नी भी उनके काम में सहयोग करती हैं और कंपनी में अहम जिम्मेदारी निभा रही हैं। उन्होंने महिला किसानों के लिए एक ग्रुप बनाया है और वो उन्हें ट्रेनिंग दे रही हैं।

योगेश का मानना है कि ऑर्गेनिक खेती में बेहतर करिअर ऑप्शन हैं। जो भी इस फील्ड में काम करना चाहता है, उसे दो-तीन साल समय देना चाहिए। अगर वह समय देता है तो जरूर कामयाब होगा।