भोपाल में छात्राओं ने बुर्के में खेला फुटबॉल, बोलीं हम हिजाब पहनकर खेल भी सकते हैं और IAS भी बन सकते हैं
भोपाल में कर्नाटक की घटना को लेकर छात्राओं ने किया सकारात्मक विरोध प्रदर्शन, हिजाब पहनकर खेले खेल, कहा हिजाब और बुर्का हमारी पहचान है, हमें इससे कोई परेशानी नहीं है तो सरकार को क्या दिक्कत है
भोपाल। शिक्षण संस्थाओं में हिजाब बैन करने के फैसले पर मध्यप्रदेश सरकार ने यूटर्न ले लिया है। सरकार के मंत्री की सफाई के बाद भी मामला थमता नजर नहीं आ रहा है। बुधवार को भोपाल के इंदिरा प्रियदर्शनी कॉलेज की छात्राओं ने कर्नाटक के स्कूल में हुई घटना का विरोध अनोखे अंदाज में किया। कॉलेज में छात्राओं ने हिजाब में क्रिकेट और फुटबॉल खेला। छात्राओं ने कहा है कि हमें इससे कोई दिक्कत नहीं है, यह हमारी पहचान है, हमारा अधिकार है कि हम हिजाब पहनें। हम इसे पहनकर खेल भी सकते हैं और पढ़कर IAS भी बन सकते हैं। हमें इससे कोई दिक्कत नहीं है तो सरकार को क्या परेशानी है।
कॉलेज की मुस्लिम लड़कियों ने हिजाब और बुर्का पहनकर स्पोर्ट्स एक्टिविटी में भाग लिया और उनका खेल देखने बड़ी संख्या में दर्शक मौजूद रहे, जो उनकी हौसला अफजाई कर रहे थे। कॉलेज में हुए इस स्पोर्ट्स इवेंट की कमेंट्री के दौरान कर्नाटक में हिजाब को लेकर हुई घटना का जिक्र भी किया गया था। वहां बताया गया कि कॉलेज की 28 छात्राओं को प्रवेश देने से रोका गया क्योंकि वे हिजाब में थीं। इस स्पोर्ट्स एक्टिविटी का आयोजन भोपाल में कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद के इंदिरा प्रियदर्शिनी कॉलेज में किया गया था।
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दरअसल कर्नाटक की घटना के बाद मध्यप्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने मंगलवार को स्कूल में हिजाब पर बैन लगाने की बात कही थी, उसके बाद बुधवार को उन्होंने इस पर सफाई देते हुए कहा कि सरकार की ऐसी कोई मंशा नहीं है। अपने पुराने बयान से पलटते हुए स्कूल शिक्षा मंत्री ने सफाई दी है कि प्रदेश के स्कूलों में हिजाब पर रोक नहीं लगाई जाएगी। शिवराज सरकार हिजाब पर बैन लगाने पर कोई विचार नहीं कर रही है।
गौरतलब है कि कर्नाटक के कुंडापुरा कॉलेज में मुस्लिम स्टूडेंट्स को हिजाब पहनकर कॉलेज आने से रोका दिया गया था। इसे लेकर छात्राओं ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उनका कहना है कि संविधान उन्हें अपने धर्म के हिसाब से पहनावे की छूट देता है, इसलिए कोर्ट भी हमारे संवैधानिक हक की रक्षा करे और कॉलेज में हिजाब पहनने की परमिशन दी जाए।