MP में धनतेरस से काम बंद करेंगे बिजली विभाग के इंजीनियर्स, बिजली कंपनियों को 500 करोड़ के नुकसान का अनुमान

सात सूत्री मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे इंजीनियर्स धनतेरस से आंदोलन का पांचवां चरण शुरू करेंगे।आंदोलन के कारण प्रदेश के बिजली कंपनियों को 500 करोड़ से अधिक का नुकसान होने का अनुमान है।

Updated: Oct 17, 2022, 01:08 PM IST

इंदौर। मध्य प्रदेश में बिजली विभाग के इंजीनियर्स अपनी सात सूत्री मांगों को लेकर पिछले एक महीने से आंदोलन पर हैं। आने वाले धनतेरस से वे आंदोलन का पांचवां चरण शुरू करने वाले हैं। पांचवें चरण में उन्होंने धनतेरस से काम बंद करने का ऐलान किया है। इंजीनियर्स के आंदोलन से प्रदेश के बिजली कंपनियों को 500 करोड़ से अधिक का नुकसान का अनुमान है।

दरअसल, मध्य प्रदेश विद्युत मंडल पत्रोपाधि अभियंता संघ के बैनर तले पूरे प्रदेश के सभी बिजली कंपनियों के कनिष्ठ एवं सहायक यंत्री महीनेभर से आंदोलनरत है। संगठन के द्वारा लगातार कनिष्ठ एवं सहायक यंत्री की मांगों के निराकरण हेतु आंदोलन शुरू किया है। लेकिन सरकार की ओर से कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिल सका है। ऐसे में प्रदर्शनकारी भी अब आर-पार की लड़ाई के मूड में आ गए हैं।

बीते सितंबर से शुरू हुए आंदोलन के पांचवें चरण में अब काम बंद की घोषणा भी कर दी गई है। आंदोलन के प्रथम चरण में सभी बिजली कंपनियों के सर्कल मुख्यालय पर प्रदर्शन कर ऊर्जा सचिव को ज्ञापन दिया था। इसके बाद दूसरे चरण में 23 सितंबर को सभी बिजली कंपनियों के मुख्य अभियंता स्तर पर ऊर्जा मंत्री को ज्ञापन दिया गया। 10 अक्टूबर 2022 को सभी कंपनी मुख्यालय पर हजारों की संख्या में उपस्थित होकर आम सभा के माध्यम से प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री को 7 सूत्री मांगों के निराकरण हेतु ज्ञापन दिया।

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मांगों पर सकारात्मक आश्वासन नहीं मिलने के बाद प्रदेश के सभी सहायक एवं कनिष्ठ यंत्री आंदोलन के चौथे चरण के तहत 14 अक्टूबर से वर्क टू रूल पर चले गए। इंजीनियरों ने राजस्व वसूली के काम बंद कर दिए हैं। दीवाली से पहले कंपनी के दिए लक्ष्यों को पूरा करने से भी इंजीनियरों ने इनकार कर दिया है। ऐसे में अनुमान लगाया गया है कि 2 दिनों में तीनों बिजली कंपनियों को अभी तक 100 करोड़ से अधिक का राजस्व नुकसान होने का अनुमान है। 

यदि इसी प्रकार बिजली कंपनी एवं शासन के द्वारा पहल करते हुए मांगों के निराकरण हेतु सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया तो प्रदेश की बिजली कंपनियों को 500 करोड़ से अधिक का राजस्व नुकसान का अनुमान है। अब इंजीनियरों ने आंदोलन के पांचवे चरण में कार्य बहिष्कार की घोषणा की है। धनतेरस से वे काम पूरी तरह ठप कर देंगे। बता दें कि प्रदर्शनकारी इंजीनियर्स वर्षों से अटके प्रमोशन के की मांग के साथ ही समान कार्य समान पदनाम जैसी मांगे कर रहे हैं। इनके संगठन के अनुसार मांगों के पूरा करने पर शासन पर कोई अधिक वित्तीय भार भी नहीं आना है। बावजूद शासन सुनवाई नहीं कर रहा।