चंबल में डाकुओं का गिरोह फिर सक्रिय, डॉक्टर ने कोहनी के बल घिसटकर बचाई अपनी जान

झांसी के जानेमाने डॉक्टर को उठाकर बीहड़ लाए थे डकैत, डॉक्टर किसी तरह उनके चंगुल से बच निकले, चंबल को डाकुओं से मुक्त कराने के शिवराज सरकार के दावों पर उठे सवाल

Updated: Jan 30, 2021, 12:25 PM IST

Photo Courtesy : Samacharnama
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ग्वालियर। मध्यप्रदेश के चंबल क्षेत्र में डकैतों का बोलबाला 21वीं सदी के 21वें साल में भी कायम है। झांसी के जानेमाने डॉक्टर का अपहरण इसी बात की ओर संकेत कर रहा है कि चंबल में डाकुओं का गिरोह फिर से सक्रिय हो गया है। कल सुबह अगवा किए गए डॉक्टर ने सूझबूझ और चतुराई से अपनी जान बचा ली है। वहीं पुलिस मामले की जांच में जुट गई है। 

दरअसल, शुक्रवार को सुबह उत्तर प्रदेश के झांसी के मशहूर डॉक्टर राधाकृष्ण गुरु बक्सानी का हथियारबंद डकैतों ने अपहरण कर लिया था। डाकू डॉक्टर बक्सानी को बंदूक की नोक पर गाड़ी में बिठाकर बीहड़ के जंगलों में ले गए। शनिवार तड़के सुबह डॉक्टर का अपहरण करने वाले तीनों डकैत उनके पैरों में जंजीर बांधकर सुस्ताने लगे। इस दौरान डकैतों की आंख लग गई और डॉक्टर वहां से भाग गए।

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62 वर्षीय डॉक्टर ने पुलिस को बताया कि उन्होंने डकैतों को सोया देख वहां से भाग जाना उचित समझा। इसके लिए उन्होंने हाथ की कोहनी के बल घिसटना शुरू कर दिया। करीब आधा किलोमीटर घिसटने के बाद जब वे किसी तरह जंगलों से बाहर खेतों की ओर पहुंचे तब वहां कुछ स्थानीय लोगों की नजर उनपर पड़ी। लोगों ने ही उन्हें बताया कि वे मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के हिंगोन गांव में हैं। इसके बाद गांव के लोगों ने 100 नंबर पर फोन करके पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर डॉक्टर को सिविल लाइंस थाने पहुंचाया।

डॉक्टर ने पुलिस को बताया कि डकैतों ने पहले उन्हें बताया था कि चित्रकूट के कुख्यात डकैत ददुआ के नाती का इलाज करवाने के लिए उनका अपहरण किया गया है और इलाज के बाद उन्हें सुरक्षित छोड़ दिया जाएगा। लेकिन जब वे आपस में बात करने लगे कि डॉक्टर काफी चर्चित है। हमें एक-दो करोड़ मिल जाएगा, तब उन्हें पूरा माजरा समझ आ गया।

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पुलिस को आशंका है कि कुख्यात डकैत ददुआ तो सिर्फ बहाना है। यह गिरोह राजस्थान के धौलपुर या मध्य प्रदेश के मुरैना का है जिसने ददुआ के नाम पर डॉक्टर को अगवा किया। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि डॉक्टर के परिजनों ने लाखों की फिरौती दी होगी, जिसके बाद डकैतों ने उन्हें छोड़ा है। लेकिन डकैतों के डर से वे इस बात को कबूल नहीं कर रहे हैं। बहरहाल फिरौती के लिए अगवा किए गए डॉक्टर ने सूझबूझ दिखाई अपनी जान तो बचा ली, लेकिन इस वारदात ने मध्य प्रदेश सरकार के दावों पर सवाल ज़रूर खड़ा कर दिया है। सवाल यह कि प्रदेश के मुख्यमंत्री अब तक किस आधार पर दावा करते रहे हैं कि चंबल को डकैतों से छुटकारा मिल गया है।