घूसखोरी में सिंधिया समर्थकों ने मारी बाजी, भ्रष्टाचार की दौड़ में गोविंद सिंह का विभाग सबसे आगे

EOW ने साल 2021 में 341 भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की, इसमें सिंधिया समर्थक गोविंद सिंह के राजस्व विभाग के सबसे ज्यादा अफसर शामिल, दूसरे नंबर पर रहे सिंधिया के करीबी महेंद्र सिंह सिसौदिया के विभाग के अधिकारी

Updated: Jan 29, 2022, 01:49 PM IST

Photo Courtesy: Theasianage
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भोपाल। मध्य प्रदेश में घूसखोरी के मामलों में सिंधिया समर्थकों के विभागों ने बाजी मार ली है। भ्रष्टाचार की दौड़ में सिंधिया के खास मंत्री गोविंद सिंह का राजस्व विभाग अव्वल रहा है। दूसरे नंबर पर भी सिंधिया के विश्वस्त मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया के पंचायत विकास विभाग ने जगह बनाई है। भ्रष्टाचार से जुड़े ये आंकड़े सामने आने के बाद पूर्व सीएम व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने उनकी संपत्ति जांच कराने की मांग की है।

दरअसल, लोकायुक्त और आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ EOW ने प्रदेश में कुल 341 भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की। इस दौरान कोई रंगे हाथ घुस लेते पकड़ाया तो किसी के घर में अकूत संपत्ति का भंडाफोड़ हुआ। लोकायुक्त ने 250 और EOW ने 91 केस रजिस्टर्ड किए। 2020 की तुलना में मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार के मामले तीन गुना ज्यादा बढ़ गए। चूंकि, 2020 में सिर्फ 118 मामले ही सामने आए थे।

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इनमें सर्वाधिक अधिकारी राजस्व विभाग के थे। राजस्व विभाग के मंत्री सिंधिया के सबसे प्रिय माने जाने वाले गोविंद सिंह राजपूत हैं। दूसरे नंबर सर्वाधिक पंचायत विकास विभाग के अधिकारी पकड़े गए। यह विभाग भी सिंधिया के करीबी मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया के पास ही है। तीसरे नंबर पर नगरीय विकास विभाग रहा जो मुख्यमंत्री के करीबी भूपेंद्र सिंह के पास है।

गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा का विभाग भी शीर्ष पांच में जगह बनाने में कामयाब रहा है। गृह विभाग के अधिकारी भ्रष्टाचार की दौड़ में चौथे नंबर पर रहे। बीजेपी में गुटों के हिसाब से देखा जाए तो महाराज भाजपा भ्रष्टाचार में सबसे आगे रही, वहीं शिवराज भाजपा थोड़ा पीछे और नाराज भाजपा सबसे पीछे है। मामले पर पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने कहा है कि, 'इन मंत्रियों की संपत्ति की जाँच हो जाए तो अपने आप कलई खुल जाएगी। मैं इनसे और इनके हालात से पहले भी परिचित था आज भी हूँ। लेकिन जांच शुरू हो तो मुख्यमंत्री जी से शुरू होना चाहिए।'