जयारोग्य अस्पताल की बड़ी लापरवाही, जिंदा महिला को पोस्टमार्टम के लिए भेजा, मॉर्चुरी में धड़क रहा था दिल

मध्य प्रदेश के ग्वालियर में स्थित है जयारोग्य अस्पताल, बाइक दुर्घटना में घायल महिला को बताया मृत, मॉर्चुरी में उसके पति ने जब सीने पर हाथ रखकर देखा तो धड़कन चल रही थी

Updated: Feb 26, 2022, 07:22 AM IST

Photo Courtesy: ETV
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ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर-चंबल अंचल के सबसे बड़े अस्पताल जयारोग्य का एक और कारनामा सामने आया है। यहां डॉक्टरों ने एक 31 वर्षीय जीवित महिला को मृत घोषित कर दिया। इतना ही नहीं महिला को पोस्टमार्टम के लिए मॉर्चुरी में भी शिफ्ट कर दिया। मॉर्चुरी में महिला के पति ने जब उसके सीने पर हाथ रखकर देखा तो धड़कनें चल रही थी।

उत्तर प्रदेश के महोबा निवासी निरपत सिंह राजपूत ने बताया कि दो दिन पहले उनकी पत्नी जामवती का बाइक से एक्सीडेंट हो गया था। उन्होंने उसे झांसी में प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया था। गुरुवार को डॉक्टरों ने बेहतर इलाज के लिए उसे ग्वालियर रेफर कर दिया। गुरुवार रात वे जामवती को लेकर ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल पहुंचे। यहां उन्होंने ट्रॉमा सेंटर मर जामवती को भर्ती कराया।

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डॉक्टरों ने इसके अगले दिन यानी शुक्रवार शाम करीब साढ़े चार बजे जामवती को मृत घोषित कर दिया। हैरानी की बात यह है कि डॉक्टरों ने ईसीजी किए बिना ही उसे मृत घोषित कर दिया था। इतना ही नहीं जिंदा महिला को शव बताकर पोस्टमार्टम के लिए मॉर्चुरी में भी भेज दिया। हालांकि, पति को डॉक्टरों की बात पर भरोसा नहीं हो रहा था और संतुष्टि के लिए मॉर्चुरी में जाकर उन्होंने महिला का नब्ज चेक किया।

निरपत सिंह राजपूत के मुताबिक उन्होंने जब अपनी पत्नी के सीने पर हाथ रखा तो पाया कि उसकी धड़कनें चल रही थी। सांस भी चल रहा था। यह बात उन्होंने अपने परिजनों को बताई और ट्रॉमा सेंटर में हंगामा मचाया, तब जाकर डॉक्टरों ने दोबारा इलाज दोबारा शुरू किया। मामले पर चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने जांच का आश्वासन देते हुए कहा है कि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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बता दें कि जयारोग्य हॉस्पिटल में मध्यप्रदेश के साथ ही पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश और राजस्थान के मरीज भी इलाज के लिए आते हैं। इसके बावजूद ट्रॉमा सेंटर के हालात नहीं सुधर रहे हैं। नियम के अनुसार मरीज काे मृत घोषित करने से पहले ईसीजी होना चाहिए। अस्पताल में ईसीजी मशीन भी है। लेकिन डॉक्टर बिना ईसीजी के ही मरीजों को मृत घोषित कर देते हैं।