आजतक में नौकरी करने के लिए मोदी का गुणगान जरूरी, आलोचना करने पर पत्रकार को नौकरी से निकाला
इंडिया टुडे ग्रुप के आजतक ऑनलाइन में नौकरी कर रहे पत्रकार को भारी पड़ी मोदी की आलोचना, नौकरी से निकाले गए श्याम मीरा सिंह

नई दिल्ली। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म आमतौर पर निजी राय रखने के लिए उपयोग किया जाता है। यहां आप अपनी नियोक्ता कंपनी से विभिन्न विचार रखने के लिए स्वतंत्र होते हैं। लेकिन भारतीय मीडिया संस्थानों में ऐसा नहीं है। देश की मशहूर टीवी चैनल आजतक ने अपने एक युवा पत्रकार को सिर्फ इसलिए नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा दिया क्योंकि उन्होंने अपने ट्वीटर हैंडल से पीएम मोदी की आलोचनाएं की थी।
पत्रकार श्याम मीरा सिंह ने आज ट्वीट कर बताया है कि उन्हें अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। वजह है दो ट्वीट, जो उन्होंने अपने मित्र व जाने माने फ़ोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी के अफगानिस्तान में हुई मौत के बाद साझा किया था। इंडिया टूडे ग्रुप के अंतर्गत आने वाली मीडिया संस्थान आजतक की ओर श्याम मीरा सिंह की बर्खास्तगी के नोटिस में उन दो ट्वीट्स का स्पष्ट उल्लेख किया गया है।
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ये ट्वीट्स आज से दो दिन पहले यानी शनिवार को किए गए थे और उसके अगले ही दिन यानी रविवार को उन्हें नौकरी से बाहर निकाल दिया गया। इनमें श्याम मीरा ने लिखा है कि, 'यहां ट्वीटर पर कुछ लिखता हूं तो कुछ लोग मेरी कंपनी को टैग करने लगते हैं। कहते हैं इसे हटाओ, इसे हटाते क्यों नहीं... मैं अगला ट्वीट और अधिक दम लगाकर लिखता हूं। पर इसे लिखने से पीछे नहीं हटूंगा की मोदी एक बेशर्म प्रधानमंत्री हैं।'
I want to reiterate again and again and again
— Shyam Meera Singh (@ShyamMeeraSingh) July 19, 2021
'Yes! Modi is a shameless prime minister"
श्याम ने दूसरे ट्वीट में लिखा था कि जो लोग मुझे ये कहते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी का सम्मान करो, उन्हें पहले मोदी को कहना चाहिए कि वे प्रधानमंत्री पद की गरिमा का सम्मान करें।' इन्हीं दो ट्वीट्स को लेकर आजतक से श्याम मीरा सिंह को कल बर्खास्तगी का मेल भेजा गया। श्याम ने कंपनी द्वारा भेजे गए मेल का स्क्रीनशॉट भी ट्वीटर पर साझा किया है, जिसमें ये तर्क दिया गया है कि उन्होंने कंपनी के सोशल मीडिया पॉलिसी का उल्लंघन किया है।
India Today Group mailed me screenshots of these two tweets, giving reasons for termination, which were on Prime Minister Modi. pic.twitter.com/Q7Vx2P7adB
— Shyam Meera Singh (@ShyamMeeraSingh) July 19, 2021
बर्खास्तगी के बाद श्याम मीरा ने कहा है कि, 'मैं ये बार-बार दोहराना चाहता हूं... हां मोदी बेशर्म प्रधानमंत्री हैं। उन्होंने अपना बर्खास्तगी पत्र दानिश सिद्दिकी को समर्पित किया है। श्याम ने लिखा, 'लोग अपनी डिग्री, शोध पत्र अपने आदर्शों को समर्पित करते हैं। मेरे पास अपनी नियोक्ता कंपनी इंडिया टुडे का एक टर्मिनेशन लेटर दिखाने के अलावा कुछ भी नहीं है। इसलिए मैं अपना टर्मिनेशन लेटर अपने प्यारे दोस्त दानिश सिद्दीकी को समर्पित करना चाहता हूं, जो अफगानिस्तान में शहीद हुए थे।'
People dedicate their degrees, research papers to their Ideals. I have nothing to show but a termination letter from my company IndiaToday, So I want to dedicate my termination letter to my beloved friend Danish Siddiqui, who martyred in Afghanistan.
— Shyam Meera Singh (@ShyamMeeraSingh) July 19, 2021
देश में आजदी बहुत महंगी है, मैं तो सस्ते में निपट गया- श्याम
नौकरी से निकाले जाने को लेकर हमसमवेत से बातचीत के दौरान श्याम मीरा सिंह कहते हैं कि इस देश में आजादी बेहद महंगी हो चुकी है। लोगों को आजादी के लिए जान की कुर्बानी देनी पड़ती है। मैं इस मामले में भाग्यशाली हूं जो सिर्फ नौकरी गंवाकर मुझे आजादी मिली है। भविष्य में क्या करने की योजना है यह पूछने पर श्याम ने कहा, 'मुझे ये पता है कि गोदी में मीडिया में सत्य के साथ नहीं रहा जा सकता। फिलहाल भविष्य को लेकर तय नहीं किया है, थोड़ी परेशानी है, लेकिन मेरे पास एक विकल्प यह भी है कि दिल्ली छोड़कर गांव चला जाऊं और उधर ही ग्रामीण इलाकों में पत्रकारिता करूं।'
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यह पहली बार नहीं है जब केंद्र सरकार की आलोचना करने पर मीडिया संस्थानों द्वारा अपने किसी कर्मचारी को सजा दी गई हो। मौजूदा सरकार की आलोचना करने अथवा सरकार से जन सरोकार के मुद्दों पर प्रश्न करने को लेकर कई पत्रकारों को अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ा है। जिससे यह स्पष्ट होता है कि मीडिया संस्थानों में रहना है तो मोदी-मोदी कहना होगा।
पत्रकारिता विश्वविद्यालय में पढ़ाने वाले एक मीडिया शिक्षक ने नाम न छापने की शर्त पर इस बारे में कहा कि इन घटनाओं से मीडिया क्षेत्र में करियर बनाने के सपने लेकर मीडिया से जुड़े विश्वविद्यालयों में पढ़ाई करने वाले छात्रों पर नकारात्मक असर पड़ता है। हालांकि, ऐसा नहीं है कि सभी मीडिया संस्थानों में इस तरह के दबाव होते हैं। लेकिन अधिकांश मीडिया घरानों की कार्यशैली यही है, इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता।'