अंधविश्वास की इंतेहां, पिशाच के डर से गांववालों ने लगाया लॉकडाउन, सरकारी कर्मचारियों को भी भगाया

आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के वेनेलावलास गांव में चार लोगों की रहस्यमय मौत से डरे ग्रामीणों ने गांव में इंसानी मांस खाने वाला पिशाच की आशंका में खुद से ही लॉक डाउन लागू कर दिया है.. लोगों की इस अवस्था में प्रशासन नदारद है

Updated: Apr 22, 2022, 02:40 AM IST

Photo Courtesy: Newsbytes
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अमरावती। जब सारा देश लॉकडाउन की निराशा से उबर चुका है, अमरावती जिले का एक गांव फिर से लॉकडाउन में है। और यह तालेबंदी किसी प्रशासनिक आदेश पर नहीं बल्कि ग्रामीणों के द्वारा खुद पर थोपी गयी है। आंध्र प्रदेश के इस गांव का एक भी व्यक्ति घर से बाहर नहीं निकल रहा है। गांव में यह लॉकडाउन कोविड से बचने के लिए नहीं बल्कि नरपिशाच के भय की वजह से लगाया गया है। ग्रामीणों का कहना है कि गांव में इंसानी मांस खाने वाला पिशाच घात लगाए बैठा है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के वेनेलावलास गांव में एक महीने के भीतर चार लोगों की रहस्यमय मौत हुई है। ग्रामीण मान रहे हैं कि इन मौतों के लिए इंसानी मांस खानेवाले पिशाच का हाथ है। गांव के कई लोग बुखार की चपेट में भी आ चुके हैं। ग्रामीणों के मुताबिक बुरी आत्माओं ने गांव में अपना बसेरा कर लिया है और वह एक-एक कर लोगों की जान ले रहे हैं।

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भयभीत ग्रामीणों ने कथित तौर पर ओडिशा और पड़ोसी विजयनगरम जिले के पुजारियों और जादूगरों से समाधान के लिए सलाह मांगी तो उन्हें गांव में लॉकडाउन का सुझाव दिया गया.. इसके बाद से ही ग्रामीणों ने गांव के चारों दिशाओं में नींबू लटकाकर पूरे गांव में 18 से 25 अप्रैल तक के लिए कंप्लीट लॉकडाउन लागू कर दिया है।

ग्रामीण पिशाच से बचने के लिए न खुद बाहर निकल रहे हैं न किसी और को निकलने दे रहे हैं। उन्होंने सरकारी कार्यालय, स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र और बाजारों को भी जबरन बंद करा दिया है। सरकारी कार्यालयों में कार्यरत कर्मियों को भगाकर उन्होंने तालाबंदी कर दी है। तीन दिनों से गांव में कोई भी घर से बाहर नहीं निकला है और सभी बाजार बंद हैं।

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गांव के लोगों को आवश्यक वस्तुओं के लिए परेशान भी होना पड़ रहा है, लेकिन उनका कहना है कि बुरी आत्माओं को भगाने के लिए थोड़ी परेशानी झेलनी पड़ेगी। लॉकडाउन का समर्थन करने वाले ग्रामीणों ने गांव तक आने वाले सभी रास्ते भी बंद कर दिए है। एक चेतावनी नोटिस भी चिपकाया गया है, जिस पर बाहरी लोगों का प्रवेश वर्जित होने की बात लिखी है।

गांव के कुछ शिक्षित लोगों ने पिशाच के होने के अंधविश्वास पर सवाल भी उठाया है। लेकिन ऐसे लोगों की संख्या बेहद कम है और वे मजबूर हैं। इधर, पुलिस ने गांव में पहुंचकर सरकारी कार्यालय, स्कूल और बाजारों को खोलने के लिए ग्रामीणों से बात की है, लेकिन वे अड़े हुए हैं और अभी तक इसका कोई समाधान नहीं निकल सका है।