दिल्ली में डिमॉलिशन ड्राइव पर रोक बरकरार, सुप्रीम कोर्ट ने आदेश के बावजूद तोड़फोड़ पर जताई नाराजगी

सर्वोच्च न्यायालय ने जहांगीरपुरी में तोड़फोड़ पर लगी रोक को फिलहाल बरकरार रखा है, इस मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी और तब तक यहां किसी निर्माण को ध्वस्त नहीं किया जाएगा

Updated: Apr 21, 2022, 08:14 AM IST

नई दिल्ली। जहांगीरपुरी डिमॉलिशन केस में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार करते हुए कहा कि फिलहाल जहांगीरपुरी में तोड़फोड़ नहीं होगी। कोर्ट ने नोटिस जारी कर अथॉरिटी से जवाब मांगा है। अब इस मामले में दो हफ्ते बाद सुनवाई होगी। कोर्ट का यथास्थिति को बरकरार रखने का फैसला जारी रहेगा। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को जमकर फटकारा।

जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस बी आर गवई की बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर से जुड़ीं सभी याचिकाओं पर नोटिस जारी किया और जहांगीरपुरी मामले में यथास्थिति का आदेश जारी रखा। हालांकि, इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यथास्थिति का यह आदेश सिर्फ दिल्ली के लिए है। बाकी राज्य अपना जवाब दाखिल करेंगे और फिर आगे की सुनवाई होगी। यह सुनवाई जमीअत उलेमा ई हिंद की याचिका पर हुई, जिसमें याचिकाकर्ता की ओर से दुष्यंत दवे और कपिल सिब्बल शामिल हुए।

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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी तोड़फोड़ जारी रखने पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है। कोर्ट ने कहा है कि हम इस पर गंभीर रुख दिखाएंगे। जस्टिस राव ने पूछा कि क्या कल का अतिक्रमण स्टॉल, कुर्सी और टेबल पर किया गया था। जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि क्या आपको इसको हटाने के लिए बुलडोज़र की ज़रूरत थी? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नगर निगम के मेयर को कोर्ट की जानकारी देने के बाद भी बुलडोज़र की कार्यवाही जारी रखना गंभीर है।

सुनवाई के दौरान अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि ये राष्ट्रीय महत्व का मुद्दा है। इस पर जस्टिस नागेश्वर राव ने कहा कि इसमें राष्ट्रीय मुद्दा क्या है? ये एक इलाके से जुड़ा मामला है। जहांगीरपुरी याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि ये मुद्दा सिर्फ जहांगीर पुरी तक सीमित नहीं है। ये देश भर के सामाजिक ताने-बाने के खिलाफ है। लोकतंत्र नहीं रह गया है। कानून का शासन भी नहीं रहा। कैसे BJP अध्यक्ष कमिश्नर को चिट्ठी लिखकर कहते हैं कि तोड़फोड़ कीजिए। यह हर दंगा प्रभावित क्षेत्र में है। 1984 या 2002 में ऐसा कुछ नहीं था। अचानक क्यों? यह देश संविधान और कानून के शासन से शासित है।

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इसपर सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि आप क्या राहत चाहते हैं? इस पर कपिल सिब्बल ने कहा कि हम चाहते हैं कि देश में कानून का राज कायम रखें। कपिल सिब्बल ने कहा कि जिस तरह से अभी बुलडोज़र चलाया जा रहा है, उसको रोकने के लिए आदेश जारी करें। इस पर जस्टिस नागेश्वर राव ने कहा कि अतिक्रमण के लिए बुलडोजर का ही इस्तेमाल होता है। हम पूरे देश में बुलडोजर के इस्तेमाल को रोकने का आदेश नहीं दे सकते, क्योंकि जहांगीरपुरी का मामला राष्ट्रीय मुद्दा नहीं है। कपिल सिब्बल ने कहा कि वकील एम आर शमशाद ने मेयर को कोर्ट के आदेश के बारे में अवगत कराया, लेकिन उसके बाद भी डिमोलेशन जारी रहा।

कपिल सिब्बल ने आगे कहा कि हम भी मानते हैं कि अतिक्रमण गलत है। लेकिन अतिक्रमण से मुसलमानों को जोड़ा जा रहा है। सिब्बल की इस दलील पर जस्टिस राव ने सवाल किया कि क्या किसी हिंदू की संपत्ति को नहीं तोड़ा गया? इसके बाद सिब्बल ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ तस्वीरें हैं, जहां एक समुदाय के लोगों के घर तोड़े गए। अतिक्रमण को एक समुदाय से नहीं जोड़ा जा सकता है। अतिक्रमण किसी एक या बी समुदाय तक नहीं सीमित है। आप बस अतिक्रमण कहकर घरों को नहीं तोड़ सकते हैं। MP के एक मंत्री ने बयान दिया कि अगर मुस्लिम हमला करते हैं तो न्याय की चाह ना रखें। जो लोग उस समय इलाके में नहीं थे, उनके घर भी तोड़ दिए गए।कोर्ट को संदेश देना चाहिए कि यहां कानून का राज है। तोड़फोड़ पर रोक लगे।