सर आपकी आवाज नहीं आ रही!!! ऑनलाइन क्लासेज के विरोध में IIMC के छात्रों का प्रदर्शन जारी

देश के शीर्ष मीडिया शिक्षण संस्थान, भारतीय जनसंचार संस्थान के छात्र कल से ऑनलाइन कक्षा के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं, छात्रों की मांग है कि ऑफ लाइन कक्षाएं शुरू की जाए

Updated: Apr 06, 2021, 02:39 PM IST

नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में बेकाबू हो रहे कोरोना संक्रमण के फैलाव के बीच आईआईएमसी के छात्र ऑफलाइन कक्षाओं की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। संस्थान के सैंकड़ों छात्रों ने कैंपस द्वारा चलाए जा रहे ऑनलाइन कक्षाओं का पूर्ण रूप से बहिष्कार कर दिया है। छात्रों ने आईआईएमसी प्रशासन पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए दावा किया है कि उन्हें पूर्व में आश्वासन दिया गया था कि दूसरे सेमेस्टर से ऑफलाइन कक्षाओं का संचालन किया जाएगा। लेकिन वो शुरू ना हो सका।

देश के शीर्ष मीडिया शिक्षण संस्थानों में से एक भारतीय जनसंचार संस्थान के छात्रों का आरोप है कि उनकी मांगों पर ध्यान देने की बजाय मंगलवार को संस्थान की ओर से भेजे गए एक शिक्षक ने उन्हें धमकी देते हुए धरना स्थल खाली करने का आदेश दे दिया। जबकि छात्र दो दिन से अनिश्चितकालीन प्रदर्शन के मूड में डटे हैं। 

नाम न बताने के शर्त पर हिंदी जर्नलिज्म विभाग के एक छात्र ने बताया कि उक्त शिक्षक ने छात्रों को कहा कि दिल्ली में नाइट कर्फ्यू लागू है, ऐसे में यदि वे अपने प्रदर्शन को खत्म कर ऑनलाइन कक्षाओं में वापस नहीं लौटते हैं तो उनके खिलाफ महामारी कानून 1897 के प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया जाएगा। 

छात्रों का आरोप है कि कोरोना महामारी की आड़ में संस्थान प्रबंधन अपने कर्तव्यों से बचना चाह रहा है। मामले पर एक छात्र ने कहा है कि, 'जब देशभर में बड़े स्तर पर चुनाव हो रहे हैं। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह लाखों लोगों के साथ रैलियां कर रहे हैं। तो हम बच्चों को प्रैक्टिकल पढ़ाई से वंचित क्यों किया जा रहा है। जबकि संस्थान की एक कक्षा में महज 60 या उससे कम छात्र ही हैं।'

अंग्रेजी पत्रकारिता विभाग की एक छात्रा ने हम समवेत से बातचीत के दौरान कहा, 'देश में सभी को इस बात की जानकारी है कि संस्थान में किस विचारधारा के लोगों का कब्जा है। इनकी नीति ही यही है कि सबसे पहले मीडिया को चुप कराओ। केंद्र की मोदी सरकार ने मीडिया संस्थानों को बर्बाद करने का एक मौका नहीं छोड़ा। अब उनका टार्गेट मीडिया की शिक्षा देने वाले संस्थान हैं। हम ऑफलाइन क्लासेज के लिए संघर्ष करते रहेंगे।'

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छात्रा ने आगे कहा कि हम मेडिकल, इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों को छोड़कर, घरवालों से लड़कर पत्रकारिता की पढ़ाई करने आए हैं, ताकि हम भविष्य में देशवासियों का सवाल सत्ता से पूछ सकें। लेकिन आज जब अपने लिए लड़ाई नहीं लड़ेंगे तो भविष्य में पत्रकार बनने के बाद हम जनता की क्या ही मदद कर सकते हैं। पत्रकारिता की पढ़ाई ऑनलाइन संभव नहीं है, यह एक प्रायोगिक पाठ्यक्रम है जिसे ऑफलाइन माध्यम और संस्थान के वातावरण के बीच ही सीखा और समझा जा सकता है। 

प्रदर्शन में शामिल रेडियो एंड टीवी डिपार्टमेंट के एक छात्र ने बताया कि उसके पिता किसान हैं। उनके पिता टीवी पर पत्रकारों को देखकर उससे भी कहते थे कि वह भी पत्रकार बने। पिता ने अपने बेटे को पत्रकार बनाने के लिए अपनी जमीन बेच डाली और बंटाई पर खेती करने लगे। छात्र को डर है कि कहीं यह ऑनलाइन क्लास उसके पिता के सपने को अधूरा ना छोड़ दे। छात्र ने बताया कि एक सेमेस्टर बीत जाने के बाद तक उन्हें न स्क्रिप्ट लिखना और न पीटीसी करना सिखाया गया है, ऐसे में कैसे वह सेमेस्टर के अंत तक किसी मीडिया संस्थान में नौकरी करने के योग्य हो पाएंगे।

गौरतलब है पिछले साल कोविड-19 महामारी के कारण आईआईएमसी ने एडमिशन की प्रक्रिया को काफी देर से पूरा किया था। एडमिशन के बाद बच्चों से पहले सेमेस्टर की फीस लेते वक्त यह वादा किया गया कि जल्द ही उनकी ऑफलाइन पढ़ाई शुरू की जाएगी। नौ महीने का मीडिया कोर्स कराने वाले इस संस्थान ने अक्टूबर 2020 से ऑनलाइन कक्षाएं शुरू की थीं। तब से अबतक छात्र ऑनलाइन क्लासेज ही कर रहे हैं।

छात्रों ने जब देखा कि प्रशासन अपनी बात पर कायम नहीं है तब उन्होंने बीते 30 मार्च से ऑनलाइन शुरू हुए सेकेंड सेमेस्टर का बहिष्कार कर दिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक इन प्रदर्शनों में संस्थान के 80 फीसदी छात्र हिस्सा ले रहे हैं। हिंदी पत्रकारिता विभाग के एक छात्र ने कहा कि अभी हाल ही में संस्थान में भारी भीड़-भाड़ वाले अल्युमिनाई मीट जैसा कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसके अलावा एक फैकल्टी की फेयरवेल पार्टी की गई जिसमें एडमिनिस्ट्रेशन के सदस्य भी बिना मास्क के शिरकत करते नजर आए और सोशल डिस्टेंसिंग तो मानो पुरानी बात हो। यदि तब वायरस नहीं फैला तो हमारी कक्षाओं से वायरस की क्या कोई दुश्मनी है। 

इस पूरे प्रकरण को लेकर एक फैकल्टी ने ऑफ रिकॉर्ड बातचीत के दौरान कहा कि संस्थान के कुछ प्रोफेसर्स और स्टाफ कोरोना की चपेट में आ गए हैं। कुछ की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है और कइयों की टेस्ट रिपोर्ट का इंतज़ार है। संस्थान के शिक्षक ऑफलाइन क्लासेज को लेकर डरे हुए हैं। यह वायरस छात्रों के लिए उतना घातक नहीं है जितना हम उम्रदराज लोगों के लिए। जरा सी चूक जान पर बन आएगी। ऐसे में छात्रों को हमारी परेशानियों का भी ध्यान रखना चाहिए। इन परिस्थितियों में प्रदर्शन करना कहीं से जायज नहीं है।

फीस माफी भी है मुद्दा

बता दें कि छात्रों के प्रदर्शन का एकमात्र मुद्दा ऑफलाइन क्लासेज ही नहीं है, बल्कि फीस माफी भी एक मुद्दा है। छात्रों का कहना है कि 9 महीने के कोर्स के लिए एक लाख रुपए से ज्यादा की फीस है, छात्र इतने पैसे इसलिए देते हैं कि संस्थान के संसाधनों का इस्तेमाल करने का मौका मिल पाए। छात्रों ने कहा जब हमारी ऑफलाइन क्लास ही नहीं हुई तब भी हमसे इतने पैसे क्यों लिए गए। इतना ही नहीं दूसरे इंस्टॉलमेंट देने की भी डेडलाइन जारी कर दी गई है। हमारी मांग है कि दूसरे सेमेस्टर की फीस माफ की जाए।

दरअसल आईआईएमसी के पैटर्न के हिसाब से, मार्च-अप्रैल का महीना उनके कोर्स का आखिरी चरण होता है। कुछ इंटर्नशिप आदि के बाद 9 महीने की पढ़ाई का कार्यकाल पूरा माना लिया जाएगा, लेकिन छात्र इस बात से असहाय हैं कि घरवालों का पैसा भी खर्च हुआ और उन्होंने कुछ सीखा भी नहीं। पढ़ाई हुई नहीं तो नौकरी क्या मिलेगी। ऊपर से संस्थान फीस कम करने को तैयार नहीं।