विधानसभा चुनावों में हार के बाद G-23 की आपात बैठक, गुलाम नबी आजाद बोले- मेरा दिल बैठा जा रहा है

कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का समूह G-23 ने चुनावों में हो रही लगातार हार को लेकर शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, G-23 समूह ने विधानसभा चुनावों में हार को लेकर आपात बैठक बुलाई है

Updated: Mar 11, 2022, 06:53 AM IST

नई दिल्ली। पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को अप्रत्याशित हार का सामना करना पड़ा है। विधानसभा चुनावों में पार्टी की हार को लेकर सोनिया गांधी ने CWC की बैठक बुलाई है। इसी बीच पार्टी के भीतर बगावती रुख अख्तियार करने वाला G-23 समूह भी एक्टिव हो गया है। पार्टी के भीतर नेतृत्व संकट को लेकर G-23 समूह ने भी आपात बैठक बुलाई है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक जी-23 समूह की बैठक शुक्रवार को गुलाम नबी आजाद के घर दिल्ली में हो सकती है। इस बैठक से पहले गुलाम नबी आजाद का भी बयान सामने आया। आजाद ने कहा है कि चुनाव नतीजों से मुझे झटका लगा है, एक के बाद एक राज्य में शिकस्त देखकर मेरा सीना छलनी हो रहा है। मेरा दिल बैठा जा रहा है। हमने अपनी पूरी जवानी और जिंदगी पार्टी को दी है। मुझे पूरा विश्वास है कि शीर्ष नेतृत्व उन सभी कमजोरियों और कमियों पर गौर करेगा, जिस पर मैं और मेरे साथी काफी समय से बात कर रहे हैं।'

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इसी बीच कांग्रेस के दिग्गज नेता शशि थरूर ने भी नेतृत्व परिवर्तन के लिए अपना आह्वान दोहराया है। उन्होंने ट्वीट किया, 'हम सभी लोग जो कांग्रेस में विश्वास करते हैं, हाल के विधानसभा चुनावों के परिणामों से आहत हैं। यह भारत के उस विचार की पुष्टि करने का समय है, जिसके लिए कांग्रेस हमेशा खड़ी रही है और राष्ट्र को सकारात्मक एजेंडा देती है। हमें हमारे संगठनात्मक नेतृत्व को इस तरह से सुधारना है, जो उन विचारों को फिर से जीवंत करे और लोगों को प्रेरित करे। एक बात स्पष्ट है- यदि हमें सफल होना है तो परिवर्तन करना ही होगा।'

सूत्रों के मुताबिक G-23 समूह के नेता गुलाम नबी आजाद के आवास पर बैठक कर आगे की रणनीति तय करेंगे और मीडिया में उसकी जानकारी भी देंगे। G-23 के इस आपात बैठक के बीच शीर्ष नेतृत्व के सामने पार्टी में फूट को रोकना और एकजुटता बनाए रखने की चुनौती है। गुलाब नबी आजाद ने एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में कहा कि मैं उस पार्टी को इस तरह दम तोड़ते हुए नहीं देख सकता, जिसको मैंने अपनी जवानी और पूरा जीवन दिया है। गोवा, उत्तराखंड में कांग्रेस को जीतना चाहिए था। पंजाब में आम आदमी पार्टी के हाथों इतनी बुरी हार कांग्रेस को मिलेगी यह मैं सोच भी नहीं सकता।'

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बता दें कि साल 2014 में नरेंद्र मोदी ने जब प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली थी तो कांग्रेस की सरकार देश के 9 राज्यों में थीं जो आज सिमटकर केवल राजस्थान और छत्तीसगढ़ में रह गई है। 2014 के बाद से अब तक देश में विधानसभा और लोकसभा के चुनाव मिलाकर लगभग 45 चुनाव हो चुके हैं इन चुनावों में से केवल पांच चुनावों में कांग्रेस को सफलता मिली है। माना जा रहा है कि विधानसभा चुनावों में हार के बाद G-23 कोई बड़ा कदम उठा सकता है।