अविश्वास प्रस्ताव का सामना करेगी मोदी सरकार, लोकसभा के इतिहास में 27 बार आ चुके हैं अविश्वास प्रस्ताव

जब लोकसभा में किसी विपक्षी दल को लगता है कि मौजूदा सरकार के पास बहुमत नहीं है या फिर सरकार सदन में विश्वास खो चुकी है, तो वह अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है।

Updated: Jul 26, 2023, 02:25 PM IST

नई दिल्ली। मणिपुर यौन हिंसा मामले को लेकर जारी हंगामे के बीच कांग्रेस ने लोकसभा में बुधवार को मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। स्पीकर ने कहा है कि अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए सभी दलों से बात करके समय तय करेंगे। नियम के मुताबिक 10 दिन के भीतर स्पीकर अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा कराएंगे।

क्या होता है अविश्वास प्रस्ताव?

जब लोकसभा में किसी विपक्षी दल को लगता है कि मौजूदा सरकार के पास बहुमत नहीं है या फिर सरकार सदन में विश्वास खो चुकी है, तो वह अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है। इसे अंग्रेजी में नो कॉन्फिडेंस मोशन कहते हैं। संविधान में इसका उल्लेख आर्टिकल-75 में किया गया है। आर्टिकल-75 के अनुसार, केंद्रीय मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति जवाबदेह है। अगर मंत्रिपरिषद सदन का विश्वास खो चुका है, तो प्रधानमंत्री समेत पूरे मंत्रिपरिषद को इस्तीफा देना होता है। 

50 सांसदों का समर्थन जरूरी

केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव सिर्फ़ लोकसभा में लाया जा सकता है। कोई भी सांसद सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे सकता है। हालांकि, अविश्वास प्रस्ताव के लिए कम से कम 50 सांसदों का समर्थन ज़रूरी है। अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस पर स्पीकर चर्चा के लिए दिन तय करते हैं। स्पीकर को 10 दिन के अंदर दिन तय करना ज़रूरी होता है। इसके बाद सरकार को सदन पटल पर बहुमत साबित करना ज़रूरी होता है।

जब सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है तो सत्ताधारी पार्टी को साबित करना होता है कि उनके पास बहुमत है। इसमें वोटिंग के लिये केवल लोकसभा के सांसद ही पात्र होते हैं, राज्यसभा के सांसद वोटिंग प्रक्रिया में भाग नहीं ले सकते। अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग होने पर सरकार अपने सांसदों के लिए व्हिप जारी कर सकती है, जिसके बाद समर्थन न करने वाले सांसद को अयोग्य माना जा सकता है। अविश्वास प्रस्ताव में सदन में मौजूद सदस्यों में आधे से एक ज्यादा ने भी अगर सरकार के खिलाफ वोट दे दिया तो सरकार गिर जाती है।

इससे पहले 27 बार आ चुके अविश्वास प्रस्ताव

लोकसभा के इतिहास में अब तक 27 बार अविश्वास प्रस्ताव आ चुके हैं। पिछली बार जुलाई 2018 में विपक्ष ने मोदी सरकार के खिलाफ ही अविश्वास प्रस्ताव लाया था। अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में सिर्फ 126 वोट पड़े थे, जबकि इसके खिलाफ 325 सांसदों ने वोट किया था। भले ही लोकसभा के इतिहास में 27 बार अविश्वास प्रस्ताव लाया गया हो, लेकिन केवल तीन बार ही सरकारें गिरी हैं। पहली बार 1990 में वी.पी सिंह सरकार, दूसरी बार 1997 में एचडी देवेगौड़ा सरकार और 1999 में अटल बिहारी सरकार के खिलाफ ही अविश्वास पास हो पाया।

अब नेहरू सरकार के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव

लोकसभा में पहली बार पंडित जवाहर लाल नेहरू सरकार के खिलाफ 1963 में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। इसे समाजवादी नेता आचार्य कृपलानी ने पेश किया था। ये अविश्वास 347 वोटों से गिर गया और नेहरू सरकार कायम रही। प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की सरकार के खिलाफ रखे गए इस प्रस्ताव के पक्ष में केवल 62 वोट पड़े जबकि विरोध में 347 वोट पड़े थे। लोकसभा में सबसे ज्यादा अविश्वास प्रस्ताव इंदिरा गांधी की सरकार के खिलाफ लाए गए हैं। उनकी सरकार के खिलाफ कुल 15 बार अविश्वास प्रस्ताव लाए गए। 

बहरहाल, मौजूदा परिस्थितियों की बात करें तो लोकसभा में मोदी सरकार मजबूत स्थिति में है। माना जा रहा है कि सरकार विश्वास मत हासिल कर लेगी। लोकसभा में एनडीए के पास 300 से अधिक सांसद हैं। वहीं पूरे विपक्ष के पास कुल 142 लोकसभा सदस्य हैं। इसमें से सबसे ज्यादा 50 सांसद कांग्रेस के ही हैं। ऐसे में स्पष्ट है कि मोदी सरकार आसानी से अविश्वास प्रस्ताव को गिरा सकती है। दरअसल, अविश्वास प्रस्ताव के कारण प्रधानमंत्री मोदी को सदन में जवाब देना पड़ेगा। विपक्ष पिछले पांच दिनों से इसी बात की मांग कर रहा था। लेकिन जब पीएम मोदी चर्चा और अपनी बात रखने के लिए तैयार नहीं हुए तो कांग्रेस अविश्वास लेकर आई।