देशभर के रेसिडेंट डॉक्टर्स हड़ताल पर गए, कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच चरमराई अस्पतालों की व्यवस्था

नीट पीजी 2021 की काउंसलिंग नहीं होने की वजह से अस्पतालों में रेसिडेंट डॉक्टर्स की कमी, इलाज का सारा दबाव पहले से कार्यरत रेसिडेंट डॉक्टर्स पर पड़ रहा है, FORDA के बुलावे पर देशभर के डाक्टर्स हड़ताल पर गए

Publish: Dec 03, 2021, 10:30 AM IST

Photo Courtesy: eastmojo
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दिल्ली। देश में कोरोना की तीसरी लहर ने आमद दर्ज करवा दी है। लेकिन देश में डाक्टरों की संख्या पर्याप्त नहीं है। देशभर के हेल्थकेयर संस्थान रेजिडेंट डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे हैं। डाक्टर्स की कमी का बड़ा कारण नीट पीजी 2021 काउंसलिंग नहीं होने से जूडा का प्रवेश नहीं हो पाना है। नए रेसिडेंट डॉक्टर्स के नहीं आने की वजह से पुराने रेसिडेंट डॉक्टर्स पर काम का दबाव बढ़ता जा रहा है। नीट पीजी 2021 की परीक्षा 11 सितंबर को आयोजित की गई थी। जिसका रिजल्ट आए भी महीना भर से ज्यादा हो गया है। लेकिन अब तक इसकी काउंसलिंग नहीं हुई है। काउंसलिंग आयोजित करने में हो रही लेटलतीफी से तंग आकर देशभर के रेसिडेंट डॉक्टर्स हड़ताल पर चले गए हैं।

जिसकी वजह से देश के विभिन्न अस्पतालों में मरीजों का इलाज प्रभावित हो रहा है। कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच दिल्ली के लोकनायक हॉस्पिटल, सफदरजंग समेत दिल्ली के लगभग 7 बड़े अस्पतालों के रेसिडेंट डॉक्टरों ने काम बंद कर दिया है। इस हड़ताल का आह्वान फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (FORDA) ने किया है।जिसका समर्थन FAIMA और IMA, JDN ने किया है। इन संगठनों ने नीट पीजी 2021 की काउंसलिंग में देरी होने के खिलाफ देशभर में डॉक्टरों से हड़ताल में शामिल होने की अपील की थी। इसमें मुंबई, पुणे, हैदराबाद, बैंगलुरू, चेन्नई समेत देश के हजारों रेसिडेंट डॉक्टर शामिल हैं। अब इस हड़ताल की वजह से अस्पतालों की OPD में मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है।

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वहीं काउंसलिंग में हो रही देरी की मुख्य वजह गरीबों के लिए सीटों का आरक्षण समेत कई कानूनी विवाद हैं। कोरोना के बढ़ते मामलों के  बीच चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि भारत डॉक्टर और मरीजों के अनुपात के मामले में सबसे खराब स्तर पर है। इस बीच कोरोना मरीजों का आंकड़ा 34.62 मिलियन तक पहुंच गया है। कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा 4,70,115 हो गया है।