दुल्हन के मायके वालों से जमीन, गहने भी लेना दहेज, सुप्रीम कोर्ट ने दहेज प्रथा को लेकर जताई चिंता

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दहेज की परिभाषा विस्तृत होनी चाहिए, इसके तहत वो सभी चीजें आनी चाहिए जो दुल्हन के मायके वालों से मांगी गई हैं

Updated: Jan 12, 2022, 04:16 AM IST

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दहेज की परिभाषा विस्तृत होनी चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय ने एक अहम फैसले में कहा है कि दहेज के तहत वे सभी चीजें आनी चाहिए जो दुल्हन के मायके वालों से मांगी गई हैं। भले फिर मांग जमीन-जायदाद, सोना-चांदी का हो या अन्य सामान हो। यहां तक कि अगर घर बनवाने के लिए भी पैसा दुल्हन के मायके वालों से मांगा गया है, तो उसे दहेज की ही मांग समझना चाहिए।

सर्वोच्च न्यायालय के जस्टिस एएस बोपन्ना और हिमा कोहली की बेंच ने यह फैसला दिया है। न्यायालय ने कहा कि ऐसी परिभाषा जो कानून के उद्देश्य को पूरा न करती हो अथवा उसे बाधित करती हो, बदली जानी चाहिए। इसकी जगह उस परिभाषा को स्थापित करना चाहिए, बढ़ावा देना चाहिए, जो कानून के उद्देश्य को पूरा करती हो। दहेज-विरोधी कानून के मामले में यह बात प्रमुखता से लागू होती है क्योंकि यह कुरीति हमारे समाज में गहरे तक पैठ चुकी है।

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मामले की सुनवाई कर रही बेंच ने आगे कहा कि इस संबंध में भारतीय दंड विधान की धारा 304-बी से जुड़े मामलों पर विचार करते हुए इस बात का खास ख्याल रखा जाना चाहिए। कानूनी प्रावधान की परिभाषा किसी तय में ढांचें में समझने के बजाय, उसे विस्तृत दायरे में समझना चाहिए। स्थापित संकुचित दायरे में समझी गई परिभाषा कानूनी प्रावधान के असली उद्देश्य को पूरी नहीं कर सकेगी। उसे बाधित करेगी। 

सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के एक फैसले को पलट दिया। दरअसल, एमपी हाईकोर्ट ने दहेज की वजह से हुई एक महिला की मौत के मामले में उसके पति और श्वसुर को आरोपों से बरी कर दिया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि ससुराल पक्ष का मकान बनवाने के लिए महिला ने खुद अपने मायके वालों से पैसे मांगे थे। इसे दहेज नहीं माना जा सकता। मामले में प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को सर्वोच्च अदालत में चुनौती दिया था।