क्या पश्चिम बंगाल में चुनाव से पहले राष्ट्रपति शासन लगाने की है तैयारी

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल धनखड़ ने कहा राज्य में विपक्ष की आवाज़ दबाई जा रही है, संवैधानिक शक्तियों का इस्तेमाल करूंगा

Updated: Nov 13, 2020, 08:51 PM IST

Photo Courtesy : OPIndia
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कोलकाता। पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले क्या राष्ट्रपति शासन लगाने की तैयारी हो रही है? यह सवाल इसलिए क्योंकि पश्चिम बंगाल के बीजेपी नेता तो लगातार राष्ट्रपति शासन में चुनाव कराने की मांग कर ही रहे हैं, इसी बीच राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने भी प्रदेश में विपक्ष की आवाज़ दबाए जाने का आरोप लगाते हुए संविधान के हिसाब से अगला कदम उठाने की बात कर दी है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ धनखड़ के तनावपूर्ण रिश्तों के मद्देनज़र उनके ताज़ा बयानों ने राष्ट्रपति शासन लगाने जाने की चर्चाओं को और हवा दे दी है। 

राज्यपाल धनखड़ ने कहा है,  'मैं बंगाल की हालत को लेकर चिंतित हूं। मैं नहीं चाहता कि पश्चिम बंगाल की जनता यह विश्वास खो दे कि बंगाल में निष्पक्ष चुनाव भी हो सकते हैं। मैं राष्ट्रपति शासन लगाने पर तो कुछ नहीं बोलूंगा लेकिन भारत के संविधान के तहत कुछ शक्तियां मुझे मिली हैं, उनका इस्तेमाल करते हुए जनता के हित में कदम उठाएंगे। एक राज्यपाल के तौर पर मैं सिर्फ संविधान के आदेश का पालन करता हूं। मैं सिर्फ संविधान का एजेंट हूं।'

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धनखड़ के इन बातों का क्या हैं मायने

धनखड़ के इस बयान को राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने के इरादे का संकेत माना जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात के दावे किए जा रहे हैं कि धनखड़ विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश कर सकते हैं। उनके इस बयान से भी यह साफ है जिसमें वह पश्चिम बंगाल में निष्पक्ष चुनाव का भरोसा बहाल करने की बात कर रहे हैं। हाल ही में पीएम मोदी ने भी बिहार में एनडीए की जीत के बाद बीजेपी मुख्यालय में दिए भाषण में पश्चिम बंगाल का नाम लिए बिना बीजेपी कार्यकर्ताओं पर हमले बर्दाश्त नहीं करने की बात कही थी।

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कैसे शुरू हुआ ताज़ा विवाद

दरअसल पश्चिम बंगाल में राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ हिंसा का मसला अभी उठाए जाने की ताज़ा वजह पश्चिम बंगाल के बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष के काफिले पर गुरुवार को हुआ पथराव है। घोष के काफिले पर यह पथराव अलीपुरद्वार जिले में हुआ।  इस घटना में किसी को चोट नहीं आई, हालांकि कुछ गाड़ियों के शीशे फूट गए। दिलीप घोष ने इस हमले के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को ज़िम्मेदार ठहराया है। इस हमले को दिलीप घोष के हाल में दिए उस भाषण से भी जोड़कर देखा जा रहा है, जिसमें उन्होंने ममता बनर्जी की पार्टी के लोगों को हत्या की धमकी दी थी। हल्दिया में एक रैली के दौरान दिलीप घोष ने कहा था, 'ममता दीदी के लोग शरारत करते हैं। वे सभी 6 महीने के भीतर खुद को ठीक कर लें। अन्यथा उनके हाथ, पैर, पसलियां और सिर तोड़ दिए जाएंगे। अगर उनकी शरारत बढ़ी तो उन्हें श्मशान भेज दिया जाएगा।' हैरानी की बात ये है कि विपक्ष की आवाज़ दबाए जाने का आरोप लगाने वाले महामहिम जगदीप धनखड़ को इस तरह के आपराधिक बयानों से कोई  दिक्कत नज़र नहीं आती। 

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ममता के साथ शुरू से तल्ख रहा है धनखड़ का रिश्ता

जगदीप धनखड़ को जब से पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनाया गया है, सीएम ममता बनर्जी के साथ उनके रिश्ते बेहद तल्ख रहे हैं। राज्यपाल लागातार मीडिया और ट्वीटर के माध्यम से ममता सरकार की मुख़ालफ़त करते रहे हैं। वह बंगाल सरकार पर राजभवन की जासूसी करने तक के आरोप लगा चुके हैं। बीते स्वतंत्रता दिवस के मौके पर जब राजभवन में राज्यपाल ने एक कार्यक्रम आयोजित किया था तब ममता वहां नहीं गई थी। इस दौरान उन्होंने कहा कि, ‘मैं आप सभी को बताना चाहता हूं कि राजभवन निगरानी में है। इससे राजभवन की शुचिता कम होती है। मैं इसकी पवित्रता की रक्षा के लिए सब कुछ करूंगा।’

सरकार की नीतियों पर भी उठा चुके हैं सवाल

बता दें कि धनखड़ राज्यपाल के पद की गरिमा को दरकिनार करके पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार की नीतियों पर भी सवाल उठाते रहे हैं। जिस पर ममता बनर्जी भी उन्हें संविधान के दायरे में रहकर काम करने की हिदायत दे चुकी हैं। धनखड़ ने जब बंगाल के डीजीपी को पत्र लिखा था तब ममता ने कहा था कि, 'अनुच्छेद 163 के अनुसार, आपको अपने मुख्यमंत्री और कैबिनेट की सहायता और सलाह के मुताबिक कार्य करना जरूरी है और यही हमारे लोकतंत्र का सार है। शक्तियों की सीमा पार कर मुख्यमंत्री पद की अनदेखी करने और राज्य के अधिकारियों को सीधे आदेश देने से दूर रहें।'

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ममता खुद चाहती हैं की राष्ट्रपति शासन लागू हो

बीजेपी नेता एक ओर तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग कर ही रहे हैं साथ ही वे यह भी कह रहे हैं कि सीएम ममता बनर्जी खुद भी यही चाहती हैं। पश्चिम बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा है कि, 'ममता बनर्जी खुद चाहती हैं कि पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू हो जाए। वह केंद्र सरकार को इसके लिए मजबूर कर रही हैं ताकि चुनाव में वह विक्टिम कार्ड खेल सकें। हालांकि, बंगाल के लोग भी यह कह रहे हैं की जब तक यह सरकार रहेगी तब तक निष्पक्ष चुनाव नहीं हो पाएंगे। इसलिए राष्ट्रपति शासन जरूरी है।'

जानकारों की मानें तो बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के इस बयान में एक कन्फ्यूजन झलकता है कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने से उन्हें फायदा होगा या नुकसान। संभावना यह भी है कि बीजेपी नेता ममता बनर्जी के विक्टिम कार्ड खेलने की बात अभी से इसलिए कर रहे हैं, ताकि राष्ट्रपति शासन लगाने पर ममता जब उसे मुद्दा बनाएं तो बीजेपी बोल सके कि हमने तो पहले ही कहा था ये ऐसा करेंगी।