MP Cabinet : विभाग बंटवारे में भी सिंधिया पेंच, CM की दिल्‍ली दौड़

MP Cabinet Expansion : Jyotiraditya Scindia अपने साथ आए ‘पैराशूट नेताओं’ के लिए मांग रहे मनपसंद विभाग

Publish: Jul 05, 2020, 09:38 PM IST

मध्‍य प्रदेश में चौथे टर्म में मुख्‍यमंत्री बने शिवराज सिंह चौहान की परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। वे प्रदेश में कोरोना से निपटे की बीजेपी में उठी असंतोष के तूफान को शांत करें। शपथ के तीन माह बाद बड़ी मुश्किल से मंत्रिमंडल का गठन किया तो कांग्रेस से बीजेपी में आए ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया को संतुष्‍ट करना भारी पड़ गया। पहले सिंधिया के मनचाहे नेताओं को मंत्री बना कर अपनी की पार्टी के सीनियर नेताओं को नाराज किया। अब विभाग बंटवारे में सिंधिया ने पेंच फंसा दिया है। मंत्रिमंडल विस्‍तार के तीसरे दिन भी विभाग का बंटवारा नहीं हो पाया है। इस कलह को सुलझाने के लिए मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान रविवार दिल्ली गए हैं। वे विभाग बंटवारे पर केद्रीय नेताओं से मुलाकात करेंगे। 

दिल्‍ली यात्रा के दौरान मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस यात्राओं के दौरान केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात कर रहे हैं। चौहान ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से भेंट की। इन मुलाकातों में वे एमपी के विकास कार्यों पर चर्चा कर रहे है।

सूत्रों के अनुसार बीजेपी ने मंत्री न बनाने जाने पर पार्टी में फैले असंतोष को किसी तरह नियंत्रित किया है। वरिष्‍ठ नेताओं की मान मनुहार कर किसी तरह उन्‍हें शांत रहने के लिए मनाया गया है। मगर अब जो मंत्री बनाए गए हैं वे नेता भी नाराज हो गए हैं। वे इस बात से खफा है कि मुख्‍यमंत्री चौहान महत्‍वपूर्ण विभाग सिंधिया के साथ आए ‘पैराशूट नेताओं’ को दे रहे हैं। असल में जब प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्‍तार का मामला नहीं सुलझा था तब केंद्रीय नेतृत्‍व ने मंत्रियों की संख्‍या तय की थी। इस निर्णय में सिंधिया खेमे से अधिक मंत्री बनाए गए। बताया जाता है कि तब ही केंद्रीय नेतृत्‍व में विभाग भी तय कर दिए थे। मगर ये विभाग वितरण एमपी के नेताओं को पसंद नहीं आया है। इसी कारण सीएम शिवराज सिंह चौहान पर दबाव है। दूसरा दबाव सिंधिया का है। दो पाटों के बीच फंसे शिवराज मामला सुलझाने के लिए ही दिल्‍ली गए हैं। नए मंत्रियों के बीच विभागों के बंटवारे का निर्णय भी अब वहीं होगा।

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सूत्र बताते हैं कि सिंधिया ने अपने समर्थकों को मंत्री तो बनवाया ही अब वे उनके लिए कांग्रेस सरकार में रहे विभाग भी चाहते हैं। इसके साथ नए मंत्रियों के लिए भी प्रभावी विभागों की मांग की गई है। य‍दि सिंधिया खेमे के 12 मंत्रियों में ही सारे महत्‍वपूर्ण विभाग दे दिए जाएंगे तब बीजेपी नेताओं के पास क्‍या रहेगा? पार्टी में अभी यही असंतोष का कारण है।

 

Congress का तंज : क्या हालत हो गयी भाजपा की

बीजेपी की इस स्थिति पर कांग्रेस ने तंज कसा है। कांग्रेस प्रदेश अध्‍यक्ष कमलनाथ के मीडिया समन्‍वयक नरेंद्र सलूजा ने ट्वीट किया है कि मंत्रिमंडल बनाना मुख्यमंत्री का अधिकार, विभाग बाँटना मुख्यमंत्री का अधिकार लेकिन क्या हालत हो गयी भाजपा की...? मंत्री भी दिल्ली से तय और अब विभाग के लिये भी दिल्ली दौरा? श्रीअंत के आने के बाद भाजपा की राह आसान नहीं...एक बार फिर टिकाऊ ठगे ना जाये...।

गौरतलब है कि गुरुवार 2 जुलाई शिवराज कैबिनेट में 28 मंत्रियों ने शपथ ली है। इनमें से 9 मंत्री सिंधिया खेमे के हैं जबकि 7 शिवराज के खाते के हैं। कुल मंत्रियों में बीजेपी के 19 मंत्री बने हैं, तो उसमें अकेले ज्योतिरादित्य सिंधिया गुट के 11 नेताओं को मंत्री पद हासिल हुआ है। तीन मंत्री ऐसे हैं जो कांग्रेसी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए। बीजेपी में यह पहला मौका है जब किसी एक नेता के इतने समर्थकों (वह भी कांग्रेस से आए पैराशूट नेता) को मंत्री बनाया गया है।

बीजेपी जानती है कि उसकी सरकार का बने रहना उपचुनाव पर टिका है। इस जोखिम को देखते हुए उसने ग्‍वालियर चंबल क्षेत्र में बड़ा दांव चलते हुए अपने सभी नेताओं को किनारे रख ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया की सुनी। भाजपा के जमीनी नेता नाराज है।