दान रूपी परशु से संसार शत्रु पर प्रहार

प्रश्न ये है कि इस संसार शत्रु से युद्ध करने के लिए हमारे पास अस्त्र शस्त्र भी होना चाहिए, भगवान श्रीराम अपने व्यक्तित्व से देते हैं इन अस्त्रों का परिचय

Updated: Sep 04, 2020, 12:40 PM IST

श्री विभीषण जी को अधीर देखकर भगवान श्रीराम ने उनके सामने जो उपदेश किया है उसी प्रसंग को 'धर्म रथ' कहते हैं।इस समय प्रभु रणांगण में हैं युद्ध का प्रसंग है ऐसे अवसर पर श्री विभीषण जी का अधीर होना उचित नहीं है। अतः श्री राघवेन्द्र ने कहा कि मित्र! रावण तो बहुत ही छोटा शत्रु है, हम तो उस महान शत्रु पर विजय प्राप्त करने चले हैं जो अजेय है। और वह है संसार रिपु। अब प्रश्न ये है कि इस संसार शत्रु से युद्ध करने के लिए हमारे पास अस्त्र शस्त्र भी होना चाहिए।

भगवान श्रीराम उन अस्त्रों का वर्णन करते हैं- विरति चर्म संतोष कृपाना और आगे बताते हैं- दान परसु बुधि शक्ति प्रचंडा दान ही परशु (फरसा) है। फरसा से तो पास से ही प्रहार किया जा सकता है। लेकिन शक्ति दूर से भी चलाई जा सकती है। यहां बुद्धि को शक्ति बतलाया गया। प्रश्न उठता है कि भगवान श्रीराम केवल उपदेश ही कर रहे हैं या स्वयं भी इनका पालन करते हैं। पूरे प्रसंग को पढ़ने पर ऐसा लगता है कि भगवान श्रीराम के चरित्र में ये सब परिलक्षित होते हैं।

 दान परसु - श्री राघव के वन गमन के समय चर्चा आती है कि उनके पास जितनी भी सम्पत्ति थी रत्न थे उन सबका दान करके वन की ओर प्रस्थान किए। एक बड़ी रोचक कथा आती है कि जब श्री राम जी सब-कुछ दान कर चुके तो एक त्रिजट नाम का ब्राह्मण था जो बहुत ही निर्धन था लेकिन तपस्वी बहुत बड़ा था उसकी पत्नी ने कहा कि इस समय श्री राम जी दान कर रहे हैं। आप क्यूं नहीं जाते? आपको भी कुछ मिल जाएगा। ब्राह्मण गया और कहने लगा कि महाराज हमको भी कुछ दीजिए। सबसे पीछे पहुंचा।

भगवान श्रीराम बोले कि महाराज आप तो बहुत पीछे आए अब तो हम सब दे चुके हैं। त्रिजट ने कहा कि हमको भी कुछ मिलना चाहिए। तो भगवान बोले कि अब हमारे पास गउवें बची हैं। असंख्य गउवें थीं श्री राम जी के पास।उनका स्वयं का धन था। श्री राम ने कहा कि हम गिनती करके क्या दें आप डंडा फेंकिए जहां तक आपका डंडा पहुंच जाय वहां तक की गउवें आपकी। पूरी शक्ति लगाकर ब्राह्मण ने डंडा फेका तो डंडा जाकर सरयू के उस पार गिरा। और उसके बीच की सारी गउवें त्रिजट को मिल गईं। कहते हैं कि उसी के संतान सरयू पारी ब्राह्मण हो गए। तो भगवान श्रीराम दान रूपी परशु से संसार शत्रु पर प्रहार करते हैं। 

दान परसु बुधि शक्ति प्रचंडा