पत्‍नी की गुहार - भोपाल एम्‍स में भर्ती मेरे पति को बचा लो

लापरवाही की ‘सरकार’ : मप्र में स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के ही पॉजिटिव कर्मचारी को नहीं मिल रहा इलाज, कैसे खत्म होगा कोरोना?

Publish: Apr 08, 2020, 10:36 PM IST

Preeti Pandey
Preeti Pandey

भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की समीक्षा बैठकों में लगातार कहा जा रहा है कि मप्र में कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने तथा संक्र‍मितों के उपचार की सारे प्रयास किए जा रहे हैं मगर मैदान की हकीकत तो कुछ ओर ही बयान कर रही है। कोरोना से लड़ रहे अमले के पास सही मास्क, आवश्यक सुरक्षा साधन नहीं हैं। वे अभावों में काम कर रहे हैं। दूसरी तरफ, जो लोग कोरोना की आशंका के साथ उपचार के लिए जा रहे हैं उन्हें इलाज नहीं मिल पा रहा है। ऐसा ही एक केस स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के कर्मचारी का है। जिन्हेंं कोरोना पॉजिटिव पाते हुए भोपाल एम्स में क्वा‍रैंटाइन कर दिया गया है मगर इलाज के नाम पर केवल दो गोलियां दी गई हैं। न सही इलाज, न सही जानकारी। ढ़ाई साल के बच्चे के साथ पत्नी घर में अकेली है। पूरा परिवार सही इलाज न मिलने से परेशान है और आशंका में जी रहा है।

शिवलोक तीन, खजूरी निवासी राजकुमार पांडे को एम्स में क्वारैंटाइन किया गया है मगर उन्हें सही उपचार नहीं मिल रहा है। उनकी पत्नी प्रीति पांडे ने वीडियो जारी कर अपनी समस्याएं बताई हैंं। प्रीति के अनुसार उनके पति राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन राज्य कार्यालय भोपाल में आईटी सलाहकार के पद पर कार्यरत हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा बुलाई गई बैठक में गए पति कोरोना से इनफेक्टेड हो गए। उन्होंने जांच कराई और पॉजिटिव होने पर एम्स भोपाल में भर्ती किया गया। मगर बीते 2 दिन से वहां उन्हें कोई उपचार नहीं मिला। प्रीति ने बताया कि एम्स के ज्यादातर डॉक्टर छुट्टी पर हैं। 2 दिन में कोई देखने नहीं आया सिर्फ आइसोलेशन के नाम पर वहां अकेला रखा गया है। वहां उनको खाना पीना भी नहीं मिल रहा है। उनका कोई उपचार नहीं किया जा रहा है। 3 दिन में अभी तक एक बार भी विटामिन सी का डोज नहीं दिया गया है। प्रीति की आवाज में भय साफ महसूस होता है जब वे कहती हैं कि मैं ढ़ाई साल के बच्चे के साथ 3 दिन से घर में बंद हूँ। अभी तक कोई न तो किसी ने प्रीति और बच्चे  का सैंपल लिया न ही घर को सैनिटाइज किया परेशान होकर वह सभी से गुहार लगा चुके हैं कि पति को एम्स से हटाकर भोपाल के चिरायु हॉस्पिटल में शिफ्ट करवा दिया जाए लेकिन कोई भी सुनने को तैयार नहीं है। 
एम्स में क्वारैंटाइन, न पानी, न इलाज
एम्स में कोरोना के प्रति लापरवाही की यह एक घटना नहीं है। वहां कोरोना के संक्रमण की आशंका लेकर गए हैं सभी व्यक्तियों ने लापरवाही की शिकायतें की है। दिन भर एक बड़े से हाल में रख दिया जाता है। वहां न इलाज उपलब्ध  होता है और न खाना। पानी के लिए सार्वजनिक वॉटर कूलर लगा है जिसके कारण संक्रमण फैलने का भय होता है। स्टॉफ भी क्वारैंटाइन किए गए व्यक्ति को कोई जवाब नहीं दे पाते हैं। इस तरह अनहोनी की आशंका अधिक बढ़ जाती है। 

 लापरवाह तंत्र, जनता त्रस्‍त : भय फैल रहा, जागृति नहीं

सभी परेशान, अपराधी जैसा बर्ताव  
भोपाल में कोरोना के संक्रमण से निपटने में तंत्र की लापरवाही का शिकार हर व्‍यक्ति हुआ है। विदेशों से आए लोगों ने जागरूकता का परिचय देते हुए प्रशासन को सूचना दी लेकिन लापरवाही ऐसी कि 14 दिनों तक किसी ने सुध ही नहीं ली फिर अचानक पुलिस के साथ पहुंचे अमले द्वारा घर के बाहर कोरोना संक्रमित होने की सूचना चस्पा कर भय का वातावरण बना दिया गया। भोपाल के वरिष्ठ अधिवक्ता विनीत गोधा भी ऐसी ही लापरवाही का शिकार हुए हैं। अपने अनुभवों को बताते हुए गोधा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा था। उन्‍होंने बताया था कि उनकी पत्नी एवं पुत्र 16 मार्च को इंग्लैण्ड से भोपाल आए थे। उन्हें घर पर आइसोलेशन में रखा गया था। इस दौरान गोधा ने जे.पी. हॉस्पिटल में अधिकृत डॉक्टर से फोन पर संपर्क कर सलाह भी ली। इस बीच 22 मार्च को उनके छोटे भाई का बेटा सिडनी से भोपाल आया। उसे भी एक कमरे में आइसोलेशन में रखा गया। प्रशासन ने सूचना देने के बाद भी 23 से 26 मार्च तक उसके स्वास्थ्य की कोई जानकारी नहीं ली गई। इनमें करोना के कोई भी लक्षण नहीं है। फिर अचानक 25 मार्च को घर के मेन गेट पर सूचना चिपका की गई कि 14 मार्च तक घर के सभी सदस्य होम क्वारैंटाइन में रहेंगे। इससे आस-पास रहने वाले लोग बेवजह डर गए। दैनिक आवश्यकता की वस्तुएं प्रदान करने वाले दूधवाले, अखवार वाले, सब्जीवाले ने भी ऐसे परिवारों से दूरी बना ली है। गोधा की बुजुर्ग माँ के स्वास्थ्य की देखभाल करने वाली नर्स ने भी आना बंद कर दिया है। वह इंजेक्शन लगाने को भी तैयार नहीं हुई। जबकि सूचना लगाने के पहले तक विदेश से आने की जानकारी होने के बाद भी सब सामान्य व्यवहार कर रहे थे। ऐसा अपराधियों जैैसा बर्ताव पत्रकारों, विदेशों से आए लोगों के साथ किया गया, जबकि सही जागरूकता बढ़ाने की आवश्‍यकता थी।

एम्स ने कहा- नियमित जाँच, आरोप निराधार
पति की बीमारी को लेकर आशंकित पत्नी के आरोपों को राज्य सरकार और एम्स प्रशासन ने ग़लत और निराधार बताया है। प्रशासन की तरफ़ से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस तरह के कदम से स्वास्थ्य कर्मियों का मनोबल टूटेगा। जनता के मन में भय पैदा होगा। एम्स अस्पताल भोपाल की डॉ. लक्ष्मी प्रसाद ने बयान जारी कर कहा है कि सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में दी गई जानकारी निराधार है। पाण्डेय की अस्पताल में भर्ती होने के दिन से नियमित जाँच की जा रही है। आज सुबह ही उन्हें इलाज के तरीकों के बारे समझाया गया है। हालत स्थिर होने के कारण उन्हें आई.वी. विटामिन-सी दिए जाने की जरूरत नहीं है। अस्पताल में सभी मरीजों को निर्धारित समय पर वहीं भोजन दिया जा रहा है, जो भोजन अस्पताल के चिकित्सक और स्टाफ करते है। अस्पताल में कोविड-19 पॉजिटिव के 18 मरीज भर्ती हुए है, जिनका पूरी गंभीरता से प्रोटॉकोल के अनुसार ईलाज किया जा रहा है।