देश में बढ़ता खाद्यान्न संकट, तेल के बाद आटे के दाम में बढ़ोतरी

2021- 22 में देश में गेहूं उत्पादन अनुमानित 111.32 मेट्रिक टन से घटकर 105 मेट्रिक टन हो गया है, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में 5.7 प्रतिशत कम है

Updated: May 10, 2022, 12:16 PM IST

Courtesy:  ThePrint
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दिल्ली। भारत विश्व में चीन के बाद गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है, लेकिन इस बार देश खाद्यान्न संकट की ओर बढ़ रहा हैं, कारण है गेहूं का कम उत्पादन और आटे की बढ़ती कीमतें। आटे की कीमतों में पिछले दस वर्षों में सर्वाधिक बढ़ोत्तरी हुई है और बाजार में आटे के दाम 32.38 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गए हैं।

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मोदी सरकार के लिए खाद्यान्न संकट बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। पहले वर्ष 2021 में देश कोरोना के डेल्टा वेरिएंट के दौरान ऑक्सीजन की कमी से जूझता रहा, इसके बाद देश में कोल की कमी के कारण बिजली उत्पादन प्रभावित हुआ। पूरे देश में बिजली कटौती देखी जा रही है। महंगाई लगातार बढ़ रही है। खाने के तेल में बढ़ोत्तरी के बाद अब आटे की कीमतों में वृद्धि देश की जनता के सामने एक बड़ी चुनौती होगी।

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केंद्र सरकार के खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने बताया कि वर्ष 2021- 22 में देश में गेहूं उत्पादन अनुमानित 111.32 मेट्रिक टन से घटकर 105 मेट्रिक टन हो गया है, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में 5.7 प्रतिशत कम है। देश में गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद में भारी गिरावट आई है। बता दें कि देश में अब तक 17.5 मेट्रिक टन गेहूं, समर्थन मूल्य पर खरीदा गया जो कि जून तक अनुमानित 19.5 मेट्रिक टन रहेगा। वर्ष 2014 के बाद से गेहूं की सरकारी खरीद का ये आंकड़ा सबसे कम है।

विश्व में गेहूं के दाम में 50 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी देखी गई है जिसके कारण भारत से गेहूं का निर्यात बढ़ा है और अब तक 10 मेट्रिक टन गेहूं भारत से निर्यात किया जा चुका है। देश में गेहूं की कमी का असर सरकारी योजना जैसे प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना और गरीबों के खाद्य सुरक्षा कानून के अंतर्गत खाद्यान्न वितरण तंत्र पर भी होगा।

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तेल, गैस, पेट्रोल, डीजल की बढ़ती कीमतों के बाद अब आटे की बढ़ती कीमतों का असर आम जन के जीवन को प्रभावित करेगा। अब देखना होगा कि सरकार देश में बढ़ती मंहगाई को नियंत्रित करेगी या  पहले से खाली जनता की जेब में महंगाई का और बोझ भरेगी।