हिमंत बिस्वा सरमा होंगे असम के अगले मुख्यमंत्री, सोमवार 12 बजे लेंगे सीएम पद की शपथ

पार्टी आलाकमान ने कल सरमा और सर्बानंद सोनावाल और हिमंत बिस्वा सरमा को दिल्ली तलब किया था, दोनों नेताओं की गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात हुई थी

Updated: May 09, 2021, 10:35 AM IST

Photo Courtesy: The Economic times
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नई दिल्ली/गुवाहाटी। करीब एक हफ्ते तक मुख्यमंत्री के नाम पर चली माथापच्ची अब समाप्त हो गई है। हिमंत बिस्वा सरमा अब असम के अगले मुख्यमंत्री होंगे। सोमवार को 12 बजे उनके शपथग्रहण का समय तय हुआ है। रविवार को केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने उनके मुख्यमंत्री चुने जाने की घोषणा की। वे अपनी ही पार्टी के नेता सर्बानंद सोनावाल की जगह लेंगे। सरमा के नाम पर अब औपचारिक मुहर लग गई है। बीजेपी विधायक दल की बैठक में यह फैसला लिया गया है। विधायक दल की बैठक में सर्बानंद सोनावाल ने सरमा के नाम का प्रस्ताव पेश किया। जिस पर सभी नेताओं ने अपनी सहमति दे दी। इससे पहले सोनोवाल ने गर्वनर जगदीश मुखी को अपना इस्तीफा सौंप दिया। हालांकि सरमा ने सोनोवाल की तारीफ की और कहा कि वो हमेशा उनके मार्गदर्सक रहेंगे। बीते दिनों सरमा उत्तरपूर्व में एक बड़े प्रभावशाली नेता के रूप में उभरे हैं और बीजेपी उनके प्रभाव को नजरअंदाज़ नहीं कर सकी। 

चुनावी नतीजे आने के एक हफ्ते बीत जाने के बावजूद बीजेपी यह तय नहीं कर पा रही थी कि मुख्यमंत्री कौन हो। इसे लेकर राजनीतिक गलियारों में तरह तरह के कयास लगने शुरू हो गए थे। आखिरकार पार्टी हाईकमान को सीएम पद के दोनों प्रतिद्वंदियों को दिल्ली बुलाकर फैसला करना पड़ा।  पार्टी आलाकमान ने कल सर्बानंद सोनावाल और हिमंत बिस्वा सरमा को दिल्ली तलब किया था, दोनों नेताओं की गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात हुई थी। जिसके बाद हिमंत बिस्वा सरमा का नाम लगभग तय माना जा रहा था। 

हालांकि मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे प्रबल दावेदार असम के वर्तमान मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनावाल थे। 2016 में जब असम में बीजेपी ने विधानसभा चुनाव लड़ा था, तब सर्बानंद को ही बीजेपी ने मुख्यमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट किया। चुनाव में जीत के बाद बीजेपी ने सर्बानंद को मुख्यमंत्री भी बनाया। लेकिन इस मर्तबा परिस्थिति बदल गई। मुख्यमंत्री बनने की रेस में हिमंत बिस्वा सरमा भी शामिल हो गए। लिहाज़ा बीजेपी ने इस मर्तबा चुनावों के दौरान अपने मुख्यमंत्री के चेहरे की तस्वीर साफ नहीं की।

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो मुख्यमंत्री का चेहरा सामने न रखना बीजेपी को फायदा पहुंचा गया। क्योंकि चुनाव से पहले सर्बानंद सोनावाल की सरकार के प्रति नाराज़गी और पार्टी में सोनावाल खेमे की तरफ से संभावित बगावत को देखते हुए बीजेपी ने मुख्यमंत्री के चेहरे की तस्वीर साफ नहीं की। हालांकि सर्बानंद सोनावाल से मुख्यमंत्री का पद छीनने के बाद बीजेपी अपनी आंतरिक गुटबाजी की खाई को पाटने में कितना कामयाब हो पाएगी यह फिलहाल भविष्य के गर्भ में है। 

हिमंत बिस्वा सरमा ने चुनावी राजनीति में पहली मर्तबा 1996 में कदम रखा था। लंबे अरसे तक कांग्रेस के कुनबे में रहे हिमंत बिस्वा सरमा ने जालुकबारी सीट से चुनाव लड़ा था। लेकिन वे कामयाब नहीं हो पाए। 2001 में सरमा इसी सीट से विधायक बने। और तब से लेकर हर चुनाव सरमा ने इसी सीट पर चुनाव जीता। हिमंत बिस्वा सरमा 2015 तक कांग्रेस में थे। तरुण गोगोई सरकार में मंत्री भी थे। लेकिन 2015 में ही वे बीजेपी में शामिल हो गए। इसके बाद सरमा की ताजपोशी पर आज पार्टी ने मुहर लगा दी है।