संसद के नए भवन की टेंडरिंग में बीजेपी सांसद को घोटाले की आशंका, पूछा- टाटा को ही क्यों चुना गया
राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी का सवाल, क्या किसी को पता है कि टाटा को नए संसद परिसर के निर्माण के लिए कैसे चुना गया? या 2-G के तरह पहले आओ, पहले पाओ?

नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट सेंट्रल विस्टा को लेकर खुद बीजेपी नेता भी अब सवाल खड़े करने लगे हैं। बीजेपी के दिग्गज नेता व राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने इस प्रोजेक्ट के लिए की गई टेंडरिंग में घोटाले की आशंका जताई है। स्वामी ने पूछा है कि नई संसद भवन के निर्माण का टेंडर आखिर टाटा को ही क्यों दिया गया। उन्होंने कथित 2-G घोटाले का जिक्र करते हुए कहा है कि कहीं इसमें भी पहले आओ पहले पाओ के आधार पर तो नहीं टेंडर एलॉट हुआ है।
स्वामी ने सोमवार को ट्वीट किया, 'किसी को पता है कि टाटा को नए संसद परिसर के निर्माण के लिए कैसे चुना गया था? क्या इसके लिए बोलियां मंगाई गई थीं या फिर इसे भी 2-G स्पेक्ट्रम घोटाले की तरह पहले आओ पहले पाओ के आधार पर दे दिया गया।'
Does anyone know how Tatas were selected for building the new Parliament complex? Was it by bids or like in 2G Spectrum scandal on first come first served basis ?
— Subramanian Swamy (@Swamy39) December 14, 2020
स्वामी ने एक अन्य ट्वीट में लिखा है कि, 'उत्तर प्रदेश सरकार के राजकीय निर्माण निगम लिमिटेड ने भी नई संसद भवन के लिए बोली लगाई थी। फिर भी वह बोली नहीं जीत पाई। तो क्या उनसे पता करेंगे कि ऐसा क्यों हुआ?'
UP Government Rajkiya Nirman Nigam Ltd also had bid for the Parliament Building. Yet it did not win the Bid. So will find out from them as to why?
— Subramanian Swamy (@Swamy39) December 14, 2020
बता दें कि पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट सेंट्रल विस्टा लगातार विवादों में घिरा हुआ है। कांग्रेस इसे सरकारी संपत्ति का दोहन बता चुकी है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पीएम मोदी से इस प्रोजेक्ट को रोक देने की अपील कर चुकी हैं। इसके अलावा सामाजिक कार्यकर्ताओं और फिल्मी हस्तियों के द्वारा भी इस प्रोजेक्ट का विरोध किया जा रहा है। मशहूर अभिनेता कमल हासन ने पीएम मोदी से सवाल पूछा है कि ऐसे समय में जब देश गंभीर उतार-चढ़ाव का सामना कर रहा है तो इस तरह के बड़े पैमाने पर वित्तीय खर्च वाले प्रोजक्ट का क्या मतलब है? कमल हासन ने शनिवार को अपने ट्वीट में लिखा, 'कोरोना वायरस की वजह से जब देश की आधी आबादी भूखी है, लोग अजीविका खो रहे हैं, 1000 करोड़ रुपये की नई संसद क्यों?'
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सुप्रीम कोर्ट ने भी लगा रखी है रोक
केंद्र सरकार के इस प्रोजेक्ट पर फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने भी रोक लगा रखी है। सुप्रीम कोर्ट ने रोक इसलिए लगाई है, क्योंकि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अब तक फैसला नहीं हुआ है। इन याचिकाओं पर कोर्ट ने 5 नवंबर को फैसला सुरक्षित रखा था। इस प्रोजेक्ट के लिए अनेक पेड़ों को काटे जाने की भी आशंका है। इसके अलावा पुरानी इमारतों को गिराने और नई आलीशान इमारतें बनाने पर प्रधानमंत्री मोदी देश के जो बीस हज़ार करोड़ रुपये खर्च करना चाहते हैं, उसे बहुत से लोग देश के संसाधनों की फिज़ूलखर्ची मानते हैं। यही वजह है कि इसके खिलाफ कई याचिकाएं दायर की गई हैं, जिन पर सुप्रीम कोर्ट विचार कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई के दौरान कहा कि जब तक वो इन याचिकाओं पर फैसला न सुना दे, तब तक कोई निर्माण कार्य या तोड़फोड़ नहीं होनी चाहिए।
क्या है सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट?
दरअसल सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत देश में नयी संसद के भवन से लेकर तमाम मंत्रालयों की भव्य और आलीशान इमारतों का निर्माण होना है। इस पूरे प्रोजेक्ट पर कम से कम बीस हज़ार करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है। इस परियोजना की घोषणा पिछले वर्ष सितम्बर में हुई थी। प्रोजेक्ट के तहत प्रस्तावित संसद भवन में 900 से 1200 सांसदों के बैठने की क्षमता होगी। इसके निर्माण का लक्ष्य अगस्त 2022 तक है, जब देश स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मनाएगा।
इस प्रोजेक्ट में सिर्फ संसद के नए भवन के निर्माण पर ही करीब 971 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के अनुसार संसद की नयी इमारत भूकंप रोधी होगी। सेंट्रल विस्टा रीडेवलेपमेंट प्रोजेक्ट के तहत उपराष्ट्रपति आवास समेत लुटियंस दिल्ली की कई बिल्डिंगों को तोड़ा भी जाएगा।
बता दें कि देश के मौजूदा संसद भवन को ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर ने डिजाइन किया था और इसका निर्माण 1921 में शुरू होने के छह साल बाद पूरा हुआ था। इस इमारत में आजादी से पहले इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल काम करती थी। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को ऐतिहासिक इमारतों को हानि पहुंचाने और बेवजह हजारों करोड़ रुपये की फिजूलखर्ची करने के रूप में देखा जा रहा है।
जानकारों का मानना है कि पीएम मोदी जल्द से जल्द इस परियोजना को पूरा करना चाहते हैं ताकि उनके प्रधानमंत्री रहते नया संसद भवन तैयार हो और वे उस नए संसद भवन में बतौर प्रधानमंत्री बैठने वाले पहले व्यक्ति बनकर इतिहास रच दें। मोदी के इस प्रोजेक्ट को देश के पहले प्रधानमंत्री दिवंगत जवाहरलाल नेहरू की बराबरी करने के सपने के तौर पर भी देखा जाता है।