देश में एक साल तक कोरोना वैक्सीन बनने की उम्मीद नहीं

'चीन और अमेरिका टीके के विकास के मामले में हमसे कहीं ज्यादा आगे हैं.'

Publish: May 24, 2020, 06:34 AM IST

कोरोना वायरस का वैक्सीन तैयार करने के लिए कई भारतीय कंपनियां प्रयास कर रही हैं लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि देश में शोध अब भी शुरुआती चरण में है और अगले एक साल में किसी ठोस सफलता की संभावना कम ही है.

कोविड-19 का प्रसार रोकने के लिए वैक्सीन विकसित करने की दिशा में भारत सरकार और निजी कंपनियों ने अपने प्रयास तेज किये हैं. इस बीमारी के कारण अब तक देश में 3700 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 1,25,000 से ज्यादा लोग इससे संक्रमित हैं.

इधर पीएम केयर्स फंड से कोरोना वायरस का वैक्सीन विकसित करने के प्रयासों में मदद के लिए 100 करोड़ रुपये की रकम आवंटित की गई है.

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वायरस से लड़ने के लिए एक टीके के संदर्भ में प्रधानमंत्री कार्यालय के एक बयान में कहा गया था कि इसकी बेहद जरूरत है और भारतीय विद्वानों, स्टार्ट-अप और उद्योगों को इस टीके के विकास के लिए साथ आना चाहिए.

टीके के विकास के लिए रास्ता तलाशने के उद्देश्य से जैवप्रौद्योगिकी विभाग को केंद्रीय समन्वय एजेंसी बनाया गया है.

ट्रांसलेशनल स्वास्थ्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, फरीदाबाद के कार्यकारी निदेशक गगनदीप कंग ने कोविड-19 के टीके पर काम कर रही भारतीय कंपनियों का जिक्र करते हुए पिछले महीने कहा था कि जाइडस कैडिला दो टीकों पर काम कर रही है जबकि सीरम इंस्टीट्यूट, बायोलॉजिकल ई, भारत बायोटेक, इंडियन इम्युनोलॉजिकल्स और मिनवैक्स एक-एक वैक्सीन विकसित कर रहे हैं.

प्रमुख विषाणु विज्ञानी शाहिद जमील ने कहा कि भारत की वैक्सीन निर्माण की क्षमता उल्लेखनीय है और कम से कम तीन भारतीय कंपनियां- सीरम इंस्टीट्यूट, भारत बायोटेक और बायोलॉजिकल ई, अग्रणी हैं जो अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के साथ कोविड-19 का वैक्सीन तैयार करने की दिशा में काम कर रही हैं.

उन्होंने बताया, “भारत में कोविड-19 के टीके को लेकर शोध विकास के बेहद शुरुआती चरण में है और किसी भी उम्मीदवार के जानवरों पर परीक्षण के चरण तक इस साल के अंत तक ही पहुंचने की उम्मीद है.”

भारतीय दवा कंपनियों में हालांकि काफी क्षमता और विशेषज्ञता है और उनके कोविड-19 की नई दवा को बाजार तक लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है.

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के लिए शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित जमील ने कहा कि यह अनुभव संस्थानों, उद्योगों और नियामकों के साथ काम करने और भविष्य की तैयारी करने के लिए महत्वपूर्ण है.

सीएसआईआर-सेलुलर एवं आणविक जीव विज्ञान केंद्र (सीसीएमबी) के निदेशक राकेश मिश्रा ने कहा, “अभी हम जो जानते हैं उससे, हम फिलहाल टीके के विकास के लिए उन्नत चरण में नहीं हैं.”

उन्होंने बताया, “कई विचार हैं और कंपनियां टीके के विकास की प्रक्रिया शुरू कर रही हैं लेकिन जहां तक वैक्सीन बनाने वालों की बात है अब तक कुछ भी परीक्षण के चरण में नहीं है.”

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उन्होंने कहा, “कई भारतीय कंपनियां विदेशी संस्थानों के साथ काम कर रही हैं. अन्य देश हमसे कहीं ज्यादा उन्नत चरण में हैं. कुछ तीसरे चरण का परीक्षण कर रहे हैं. भारत में अभी कोई कंपनी दवा का परीक्षण नहीं कर रही है और वे अभी तैयारी के चरण में हैं.”

मिश्रा ने कहा कि चीन और अमेरिका टीके के विकास के मामले में हमसे कहीं ज्यादा आगे हैं.

उन्होंने कहा, “अगर कोई तुलना करनी हो तो हम अंतरराष्ट्रीय प्रयासों के मुकाबले काफी पीछे हैं.”