सरकारी कर्मचारियों के प्रदर्शन को नहीं मिली इजाज़त, रातों रात उखाड़े गए टेंट और तंबू

पुरानी पेंशन योजना की माँग को लेकर रविवार को भोपाल में सरकारी कर्मचारियों के प्रदर्शन पर चला प्रशासन का डंडा, टेंट उखाड़ा, नेताओं को नजरबंद किया और बॉर्डर पर लगाए चेकपोस्ट...प्रदेशभर से आ रहे कर्मचारियों को भोपाल में नहीं दी एंट्री

Updated: Mar 13, 2022, 12:41 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश के कर्मचारियों द्वारा रविवार को राजधानी भोपाल में आयोजित आंदोलन नहीं हो सका। प्रशासन ने ऐन मौके पर न सिर्फ कार्यक्रम का परमिशन कैंसिल कर दिया बल्कि धरनास्थल पर लगे टेंट को भी शनिवार-रविवार की दरम्यानी रात ही उखड़वा दिया था। साथ ही सभी बॉर्डर्स पर चेकपोस्ट लगाकर राजधानी के भीतर प्रवेश करने से भी कर्मचारियों को रोक दिया गया।

दरअसल, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की तर्ज पर मध्य प्रदेश में भी पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करने की मांग जोरशोर से उठ रही है। रविवार को राजधानी भोपाल में प्रदेश भर के कर्मचारी प्रदर्शन कार्नर वाले थे। लेकिन प्रशासन ने ज्यादा भीड़ जुटने का हवाला देकर मध्यप्रदेश अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त मोर्चा और राष्ट्रीय पेंशन योजना बहाली संगठन मप्र के बैनर तले भोपाल के कलियासोत ग्राउंड पर होने वाले धरना प्रदर्शन की परमिशन निरस्त कर दी।

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प्रशासन के इस फैसले के बाद दूसरे संगठनों ने भोपाल के न्यायालय परिसर में प्रदर्शन करने का ऐलान किया था। भोपाल में पुरानी पेंशन बहाली महासंघ और प्रगतिशील संयुक्त कर्मचारी कल्याण संघ के बैनरतले प्रदर्शन करने की तैयारी की जा रही थी। लेकिन शनिवार-रविवार की दरम्यानी रात प्रशासन ने कर्मचारी नेताओं को घर में ही नजरबंद कर कोर्ट कैम्पस में लगे टेंट-तंबू उखड़वा दिए।

प्रगतिशील संयुक्त कर्मचारी कल्याण संघ के प्रांताध्यक्ष सुरेश गगनमवार के मुताबिक शनिवार रात को ही उन्हें पुलिस ने नजरबंद कर दिया था। उन्होंने बताया कि प्रशासन ने कार्यक्रम की परमिशन रात दो बजे कैंसिल करके टेंट उखड़वा दिया। इतना ही नहीं प्रदेश भर से आ रहे कर्मचारियों की गाडियों को पुलिस प्रशासन ने भोपाल के बॉडर्स पर चेक पोस्ट लगाकर रोक दिया।

हालांकि, कोर्ट कैम्पस में कार्यक्रम रद्द होने के बाद काफी संख्या में कर्मचारी राजधानी के अन्य जगहों पर इकट्‌ठे होने लगे। कांग्रेस कार्यालय के पास स्थित चिनार पार्क के पास कर्मचारियों का एक समूह एकत्रित हो गया। जिला प्रशासन को इसकी सूचना मिलते दर्जन भर गाड़ियों में भरकर पुलिसकर्मियों को वहां भेजा गया। 

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पुलिस ने इस समूह का नेतृत्व कर रहे मप्र कर्मचारी मंच के प्रांताध्यक्ष अशोक पांडेय को रोक लिया। इसके बाद वे चिनार पार्क के गेट पर एसडीएम को ज्ञापन देने की मांग करने लगे। लेकिन पुलिस अधिकारी नागेन्द्र सिंह बैंस ने धारा 144 लागू होने का हवाला देकर कहा कि सिर्फ चार लोग खडे हो जाइए और ज्ञापन मुझे दे दीजिए। वरना हमें कठोर कार्रवाई करनी पडेगी। पुलिस की चेतावनी के बाद दबाव में आकर कर्मचारियों ने ज्ञापण दिया और वापस लौट गए।

कर्मचारी नेताओं ने आरोप लगाया कि शिवराज सरकार उनके हक की आवाज़ दबाने की कोशिश कर रही है।  कर्मचारी संगठन के प्रांतीय पदाधिकारियों ने इसे लोकतंत्र पर हमला बताया है। हालांकि, इस मामले पर भोपाल के अतिरिक्त पुलिस कमिश्नर सचिन अतुलकर ने कहा कि कार्यक्रम की परमिशन निरस्त करने की जानकारी कर्मचारी संगठनों को दे दी गई थी। उन्होंने यह भी कहा की ने किसी को भी नजरबंद अथवा गिरफ्तार नहीं किया है।