तिरंगे और अशोक चक्र वाला केक काटना देशद्रोह नहीं, मद्रास हाईकोर्ट ने टैगोर के कथन का दिया हवाला

मद्रास हाईकोर्ट ने कहा है कि तिरंगे और अशोक चक्र के डिजाइन वाले केक को काटने से तिरंगे का अपमान नहीं होता, टैगोर ने कहा था,  मैं मानवता पर कभी भी देशभक्ति की जीत नहीं होने दूंगा

Updated: Mar 22, 2021, 01:21 PM IST

Photo Courtesy : LiveLaw
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चेन्नई। मद्रास हाईकोर्ट ने आज तिरंगे के अपमान को लेकर एक अहम टिप्पणी की है। उच्च न्यायालय ने कहा है कि तिरंगे और अशोक चक्र की डिजाइन वाले केक काटना न तो देशद्रोह है और न ही राष्ट्रध्वज का अपमान। अदालत ने मामले की सुनवाई के दौरान गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के उस कथन का भी जिक्र किया है जिसमें उन्होंने कहा है कि मैं मानवता पर कभी भी देशभक्ति की जीत नहीं होने दूंगा।

मद्रास हाईकोर्ट ने सोमवार को डी सेंथिल कुमार द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की, जिसमें आरोप लगाया गया था कि तिरंगे वाला केक काटना राष्ट्रध्वज का अपमान है। उन्होंने ऐसा करने वालों को कानून के तहत 3 साल तक की कैद या जुर्माना या फिर दोनों सजाएं देने की मांग भी की थी।

लेकिन इस मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस एन आनंद वेंकटेश ने आज अपने फैसले में आपराधिक केस को खारिज करते हुए कहा, 'इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत जैसे लोकतंत्र में राष्ट्रवाद बहुत महत्वपूर्ण है। लेकिन इसका उग्र  तरीके से पालन करना हमारे देश की समृद्धि को उसके अतीत के गौरव से दूर कर देता है। एक देशभक्त सिर्फ वही नहीं है, जो राष्ट्रीय गौरव के प्रतीक ध्वज को उठाता है या उसका बढ़चढ़कर दावा करता है।'

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उच्च न्यायालय ने राष्ट्रवाद पर अपनी बात पर जोर देने के लिए रवींद्र नाथ टैगोर का भी हवाला दिया। कोर्ट ने टैगोर के इस कथन को दोहराया कि, 'देशभक्ति हमारा अंतिम आध्यात्मिक आश्रय नहीं हो सकती। मेरी शरण मानवता है। मैं हीरे की कीमत में कांच नहीं खरीदूंगा और मैं मानवता पर कभी भी देशभक्ति की जीत नहीं होने दूंगा।'

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सेंथिल कुमार ने साल 2013 में क्रिसमस के मौके पर तिरंगे वाले 6×5 फीट के केक काटने और 2,500 से अधिक मेहमानों के बीच इसके वितरण के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। इस कार्यक्रम में कोयम्बटूर के जिला कलेक्टर, पुलिस उपायुक्त और विभिन्न धार्मिक नेताओं और गैर सरकारी संगठनों के सदस्यों ने भी हिस्सा लिया था। इस मामले में अदालत ने कहा कि 2013 के इस समारोह में जो भी लोग शामिल हुए थे, उनमें से किसी ने भी किसी तरह से राष्ट्र का अपमान करने की कोशिश नहीं की।'