बिजनेस क्लास में हवाई यात्रा क्यों नहीं करते हैं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह

मूर्खतावश मैं समझ बैठा कि राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह को अपने अधिकार की जानकारी नहीं है। इसीलिए वे बरसों से इकोनॉमी क्लास में यात्रा करते आ रहे हैं। मेरे मन में यही चल रहा था कि मैं कब जल्द से जल्द उन्हें उनके बिजनेस क्लास में यात्रा करने के अधिकार की बात बता दूं: ओपी शर्मा

Updated: Aug 13, 2023, 04:22 PM IST

जुलाई के अंतिम सप्ताह में दिल्ली में माननीय सांसदों के निज सचिव/निज सहायकों के लिए आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में मुझे भी सम्मिलित होने का अवसर मिला। प्रशिक्षण कार्यक्रम में राज्यसभा के वरिष्ठ अधिकारियों से रूबरू होने का अनुभव बहुत अच्छा रहा।

एक संसद सदस्य के संसदीय कर्तव्यों के पालन में निज सचिव की क्या भूमिका होनी चाहिए, यह पहली बार बहुत अच्छे से जानकर स्वयं को जांचने का अवसर मिला। किंतु जब हमें बताया गया कि माननीय संसद सदस्यों को कितनी सुविधाएं प्राप्त हैं और एक निज सचिव/सहायक के रूप में हमारी क्या जिम्मेदारी है कि हमारी जागरूकता से उन्हें प्राप्त सुविधाओं का वे बेहतर और पूरा लाभ उठा सके तो मैं आत्मग्लानि से भर गया। 

माननीय सांसदों को प्राप्त सुविधाओं में एक यह भी सुविधा प्राप्त है कि वे एक साल में 34 हवाई यात्राएं बिजनेस क्लास में कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त 8 हवाई यात्राएं पत्नी/पति के साथ भी बिजनेस क्लास में कर सकते है। पिछले 21 साल से दिग्विजय सिंह जी के साथ काम करते हुए मैंने उनकी एक भी एयर टिकट कभी बिजनेस क्लास में बुक नहीं की है। मैंने उनकी टिकट हमेशा इकोनॉमी क्लास की बुक की है। न तो उन्होंने कभी इसके लिए कहा और न मैंने उनसे पूछा

क्योंकि मेरे पहले भी जो लोग उनके साथ काम करते आ रहे थे वे भी हमेशा इकोनॉमी क्लास में ही उनकी टिकिट लेते रहे थे। मैंने कभी जानने की कोशिश भी नहीं की कि क्या उनकी या उनकी पत्नी की बिजनेस क्लास की टिकिट भी ली जा सकती है। करता भी क्यों, मैं इसी को सच मान चुका था और उन्होंने कभी बताया भी नहीं।

जब मुझे यह पता चला कि मैं इकोनॉमी क्लास में उनकी टिकट अज्ञानतावश लेता आ रहा हूं तो मैंने प्रशिक्षण देने वाले राज्यसभा के अधिकारी को यह बात बताई। उन्होंने तो मानो मुझे फटकारते हुए अंदाज में अपने कर्तव्य की याद दिलाई। यह भी कहा कि आप अपने सांसद को उनके अधिकारों से वंचित कर रहे हो। मुझे बहुत ग्लानि हुई। ऐसा लगा मानो मैं वर्षों से अपराध करता आ रहा हूं। साथ ही अपनी मूर्खतावश यह भी समझ बैठा कि दिग्विजय सिंह जी को भी अपने इस अधिकार की जानकारी नहीं है। इसीलिए वे वर्षों से इकोनॉमी क्लास में यात्रा करते आ रहे है।

मेरे मन में यही चल रहा था कि मैं कब जल्द से जल्द अपने इस अपराध को उनके सामने स्वीकार कर लूं और उन्हें उनके बिजनेस क्लास में यात्रा करने के अधिकार की बात बता दूं। मैं दिल्ली से 2 अगस्त को भोपाल लौटकर आ गया था। मन में वही अपराध बोध था और भय भी कि मेरे यह बताने पर वे मुझे क्या कहेंगे? अगले ही दिन उन्होंने मुझे दिल्ली यात्रा के लिए एयर टिकट बुक करने को कहा।

मैने झिझकते हुए कहा कि आपको तो बिजनेस क्लास में यात्रा करने का अधिकार है और आप इकोनॉमी क्लास में यात्रा करते आ रहे हैं। साथ ही पूछा की क्या मैं अब से उनकी टिकट बिजनेस क्लास में बुक कर दूं? जिसका की किराया इकोनॉमी क्लास से लगभग दुगना होता है।

सिंह ने हंसते हुए जवाब दिया... "नहीं। मैं इकोनॉमी क्लास में ही यात्रा करना पसंद करता हूं। उसमें आम लोगों के साथ बैठकर उनसे बातचीत करने का अवसर मिल जाता है। मुझे अच्छा लगता है।"

अब मुझ अनाड़ी को यह ज्ञात हो गया था कि उन्हें अपने इस अधिकार की वर्षों से जानकारी है और वे स्वेच्छा से ही इसका उपयोग नहीं करते हैं। इसमें उन्हें तिहरा फायदा दिखाई देता है.. प्रथम तो यह कि वे आम लोगों से अलग श्रेष्ठता के अहं भाव से बच सकें, दूसरा यह कि जनता से टैक्स वसूल करके उन्हें दी गई सुविधा का व्यर्थ इस्तेमाल न हो और शासन का पैसा बच सके तथा तीसरा फायदा यह कि आम जनता से रूबरू होकर उनके विचार, भाव और दुःख दर्द को सुन और समझ सकें। वे दशकों के राजनीतिक जीवन में सामान्य लोगों के बीच सामान्य जीवन का आदर्श प्रस्तुत करते रहे है। कई बार उन्होंने ट्रेन के 2 टियर और 3 टियर श्रेणी में यात्राएं की है। 

क्या सिर्फ राजनीति के लिए राजनीति करने वाले नेता ऐसा आचरण कभी कर पाएंगे? दिग्विजय सिंह बनने के लिए पहले एक नेता को स्वयं को गलाना होगा, अपने अहंकार को मिटाना होगा, जनता के टैक्स से एकत्रित धन को बचाने की चिंता करनी होगी, आम आदमी के दुख दर्द को समझने, जानने और जनता को जनार्दन मानकर उनकी सेवा करने की आकांक्षा पैदा करनी होगी तभी कोई उनके निकट तक पंहुच पाएगा। आज की युवा राजनीतिक पीढ़ी को उनसे ये सब सीख लेनी चाहिए।

लेखक परिचय

(लेखक ओपी शर्मा मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह के निज सचिव हैं।
दिग्विजय सिंह द्वारा साल 2017-18 में की गई नर्मदा नदी की पैदल परिक्रमा पर आधारित यात्रा संस्मरण पुस्तक "नर्मदा के पथिक" पुस्तक की भी उन्होंने ही रचना की है। लगभग चार सौ पृष्ठों की इस वृहद् पुस्तक में नर्मदा किनारे की लोक-संस्कृति की अद्भुत झाँकी प्रस्तुत की गई है।)