स्वीडन के वैज्ञानिकों ने ढूंढा जीन वैरिएंट, कोरोना के खतरे को 20 फीसदी तक कर देता है कम

स्वीडन के कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट में अंतर्राष्ट्रीय शोधकर्ताओं ने किया शोध, शोधकर्ताओं ने पाया कि यूरोप के हर तीसरे व्यक्ति में ऐसा जीन मौजूद है, जो कि कोरोना संक्रमण की गंभीरता को बीस फीसदी तक कम कर सकता है, अफ्रीकी मूल के लोगों में इस जीन की मौजूदगी अधिक है

Publish: Jan 17, 2022, 03:05 PM IST

नई दिल्ली। कोरोना महामारी से जूझती दुनिया के बीच स्वीडन के शोधकर्ताओं ने एक बड़ी खोज करने का दावा किया है। शोधकर्ताओं के मुताबिक उन्होंने एक ऐसे जीन का पता लगाया है, जो कि कोरोना संक्रमण के प्रभाव को बीस फीसदी तक कम करने की क्षमता रखता है। शोधकर्ताओं का दावा है कि उनकी यह खोज संक्रमण को रोकने में बड़ी भूमिका अदा करेगी। 

यह शोध स्वीडन के कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट में किया गया था। अंतर्राष्ट्रीय शोधकर्ताओं की टीम ने अस्पतालों में कोरोना से संक्रमित मरीजों के ऊपर स्टडी की। यह स्टडी अलग अलग मूल के लोगों पर की गई। इस स्टडी को अब नेचर जर्नल में प्रकाशित किया गया है। 

शोधकर्ताओं ने अपनी स्टडी के दौरान एक जीन वैरिएंट खोजने में कामयाबी हासिल कर ली। स्टडी के मुताबिक इस जीन वैरिएंट की मौजूदगी जातीयता के आधार पर बदलती रहती है। शोधकर्ताओं ने अपनी रिसर्च में यह पाया है कि यूरोप के हर तीसरे व्यक्ति के अंदर यह जीन मौजूद है। जबकि अफ्रीकी मूल के लोगों में इस जीन की मौजूदगी अधिक है। रिसर्च के मुताबिक अफ्रीकी मूल के हर दस में से आठ लोगों में यह मौजूद है। 

शोधकर्ताओं का दावा है कि यह जीन वैरिएंट इस बात का निर्धारण करता है कि किसी व्यक्ति को कोरोना संक्रमण कितनी गंभीरता से अपनी चपेट में लेगा। मसलन, अगर किसी व्यक्ति के भीतर यह जीन वैरिएंट मौजूद है तो वह दूसरे किसी अन्य व्यक्ति के मुकाबले बीस फीसदी अधिक सुरक्षित हो जाएगा। मसलन, किसी ऐसे व्यक्ति जिसमें यह जीन मौजूद नहीं है, उसे कोरोना संक्रमण से अधिक खतरा होगा। शोधकर्ताओं ने कहा है कि उनका यह शोध कोरोना महामारी से लड़ने के लिए प्रभावी टीका बनाने में मदद करेगा।