भारत जोड़ो यात्रा: महू, महाकाल और महिलाओं के जरिए प्रभाव पहुंचाने का जतन
राहुल गांधी ने मध्य प्रदेश में भारत जोड़ो यात्रा में महू, महाकाल और महिलाओं के जरिए जनमानस तक अपना प्रभाव पहुंचाने का प्रयत्न किया है, जिसका असर दूर तक दिखाई दे सकता है। क्या यही वजह है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस प्रभाव का जवाब खोजने के लिए सड़क पर उतर पड़े हैं?

कांग्रेस नेता राहुल गांधी और भारत जोड़ो यात्रा मध्य प्रदेश में 12 का सफर कर राजस्थान में चली गई है। केरल सहित दक्षिण के राज्यों और महाराष्ट्र में सफलता के समय सवाल उठाया गया था कि क्या यात्रा हिंदी पट्टी में सफल होगी। इस सवाल के साथ सभी की निगाहें मध्यप्रदेश पर टिकी हुई थी। मध्य प्रदेश में भारत जोड़ो यात्रा को विवादित करने की कोशिश भी हुई लेकिन भारत जोड़ो यात्रा अच्छी यादें और बेहतर प्रभाव के साथ कूच कर गई है।
मध्यप्रदेश में बुरहानपुर से शुरू हुई यात्रा ने आगर मालवा की सीमा से राजस्थान में प्रवेश किया। मध्यप्रदेश में यात्रा से कई तरह के संकेत मिले। इन संकेतों का विस्तार डॉ. अंबेडकर जन्म स्थली महू से टंट्या मामा भील के बलिदान दिवस पर श्रद्धासुमन तक, ओंकारेश्वर से महाकाल तक, समाज के हर वर्ग तक देखा गया है।
जब यात्रा ने मध्यप्रदेश में प्रवेश किया और राहुल गांधी को पता चला कि डॉ. अंबेडकर का जन्मस्थल पास में है और यात्रा वहां तब नहीं जा रही है तो उन्होंने यात्रा का मार्ग बदलवाया और महू पहुंचे। यह संभवत: पहला मौका होगा जब राहुल गांधी के कहने पर यात्रा का मार्ग बदला गया है। महू में जाना राजनीतिक संकेत तो था ही, एक वर्ग विशेष के प्रति जुड़ाव का संकेत भी था। वैसे ही यात्रा के दूसरे दिन राहुल गांधी जननायक टंट्या मामा भील के जन्मस्थल पर भी पहुंचे। यह आदिवासी समुदाय से कनेक्ट बनाने का जतन था।
यात्रा के तीसरे दिन राहुल गांधी ओंकारेश्वर पहुंचे। वहां बहन प्रियंका गांधी के साथ उन्होंने नर्मदा आरती की। मंदिर में दर्शन करने के अलावा राहुल गांधी ने मां नर्मदा को चुनरी भी चढ़ाई। जब यात्रा मालवा में पहुंची तो राहुल गांधी का महाकालेश्वर मंदिर में जाना सुर्खियां बना। इस यात्रा के दौरान महू और उज्जैन की सभाएं और उनमें जनता की उपस्थिति ने यात्रा की सफलता को बयान किया।
इन 12 दिनों में एक क्षण ऐसा भी आया जब राहुल गांधी को लगा कि महिलाएं उनके साथ कदमताल नहीं कर पा रही हैं तो उन्होंने पूरा एक दिन महिला यात्रियों के लिए आरक्षित करवा दिया। इस दिन उन्होंने सारे नेताओं, कार्यकर्ताओं, जन समूह को पीछे रख कर केवल महिलाओं से बात की। उनकी समस्याएं, उनकी पीड़ाएं और सुझाव सुने।
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हालांकि, इस यात्रा का असर कम करने के लिए बीजेपी की ओर से कई तरह के प्रयास हुए। इसे भारत तोड़ो यात्रा भी करार दिया गया। यात्रा में शामिल हुए लोगों पर सवाल उठाए गए। यहां तक कि आगर मालवा में राहुल गांधी के सामने मोदी जिंदाबाद के नारे भी लगे। इस दौरान राहुल गांधी हँसते हुए प्रतिक्रिया दी। उन्होंने न केवल हाथ हिला कर अभिवादन किया बल्कि फ्लाइंग किस दे कर सकारात्मक रूख भी दिखाया। वायरल हुए वीडियो में सुना जा सकता है कि नारे लगा रहे लोगों में से एक राहुल गांधी की इस प्रतिक्रिया को देख नारे लगाना भूल कर हँस पड़ा था।
इन सारे पहलुओं को देख यह आकलन किया जा सकता है कि राहुल गांधी ने मध्य प्रदेश में भारत जोड़ो यात्रा के जरिए एक इंद्रधनुष रचा है। यह महू, महाकाल और महिलाओं के जरिए जनमानस तक अपना प्रभाव पहुंचाने के प्रयत्न है जिनका असर दूर तक दिखाई दे सकता है। प्रदेश के कांग्रेस नेता भी यात्रा की इस सफलता से उत्साहित हैं। अब उन्हीं पर चुनौती है कि वे इस असर को कितनी दूर तक बनाए रख पाते हैं।
राहुल गांधी की पदयात्रा के जवाब में सड़क पर उतरने को बाध्य सीएम शिवराज सिंह
बीजेपी ने जैसा चाहा था वैसा हुआ नहीं। भारत जोड़ो यात्रा में विवाद तो हुआ नहीं बल्कि आकलन किया गया कि यह यात्रा मध्यप्रदेश में सफल हो कर आगे बढ़ी है। राहुल गांधी ने पैदल चलते हुए जनता से एक रिश्ता बनाया है जो उनकी गढ़ी गई छवि से अलग है। इस संपर्क की गूंज बीजेपी तक पहुंची है। शायद यही कारण है जवाब में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सड़क मार्ग से प्रदेश में औचक निरीक्षण करने निकल पड़े हैं, जबकि पिछली बार वे हेलीकॉप्टर से दौरे पर निकले थे।
शिवराज सिंह चौहान न केवल सड़क पर उतरे बल्कि अफसरों पर नाराज भी हुए। काम संतोषजनक न पा कर अधिकारियों पर कार्रवाई भी की। मुख्यमंत्री चौहान का यह अंदाज लोगों को भाया है। वे मंच से अफसरों पर कार्रवाई की घोषणा करते हैं और जनता तालियां बजाती है। इतना ही नहीं समान नागरिक संहिता के लिए कमेटी बनाने की घोषणा तथा टंट्या मामा के बलिदान दिवस पर पेसा एक्ट की बात कर आदिवासियों को लुभाने का जतन किया।
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जाहिर है, प्रदेश के राजनीतिक आकाश पर राहुल गांधी की पदयात्रा और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सड़क दौरे चर्चा में हैं। काम की इस आक्रामक शैली से शिवराज सिंह चौहान चर्चा में आए हैं मगर सीहोर से वायरल हुआ वीडियो उनकी एक चिंता भी रेखांकित करता है। इस वीडियो में वे जनसंपर्क अधिकारी को इस बात के लिए फटकारते हुए दिखाई दे रहे हैं कि उनके दौरे का कवरेज करने मीडिया क्यों नहीं आया। जवाब मिला कि दौरा औचक था और मीडिया को समय पर खबर नहीं हो सकी। अचानक किए गए दौरे में भी मीडिया प्रबंधन की चिंता बताती है कि मुख्यमंत्री चौहान किन-किन मोर्चो पर फिक्रमंद हैं।
युवाओं में बेरोजगारी से उद्वेलन, संघ संभालेगा रोजगार का मोर्चा
राहुल गांधी की मध्यप्रदेश यात्रा के दौरान युवाओं की भागीदारी और उनसे हुए संवाद ने बीजेपी को चौंका दिया है। इस संवाद के दौरान राहुल गांधी ने बेरोजगारी और महंगाई को लेकर युवाओं को उद्वेलित किया है। बेरोजगारी के मोर्चे पर सरकार के वादे तो केवल वादे साबित हो रहे है। शायद यह कारण है कि अब संघ मैदान में उतार आया है।
खबर है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले तीन दिनों के लिए भोपाल आ रहे हैं। उनके विभिन्न कार्यक्रम में सबसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम 12 दिसंबर को है जब वे भोपाल में संघ के मध्य भारत प्रांत के डेढ़ दर्जन जिलों में रोजगार सृजन केंद्रों का उद्घाटन करेंगे। संघ के मध्य प्रांत में मालवा, महाकौशल और छत्तीसगढ़ के क्षेत्र शामिल हैं।
मैदानी सर्वे और संवाद से उभरे संकेतों से संघ यह समझ गया है कि युवाओं को नहीं साधा गया तो इसका विपरीत असर हो सकता है। साफ है कि इन रोजगार सृजन केंद्रों के माध्यम से संघ की योजना नौकरी के अवसरों और स्वरोजगार को बढ़ाना है तथा बेरोजगारी के कारण युवाओं में व्याप्त नाराजगी को कम करना है।
तमाम प्रयत्न के बाद भी भर नहीं पा रही बीजेपी की दरार
बीजेपी जहां मिशन 2023 में सफलता के लिए हर तरह के प्रयास कर रही है मगर अपने ही वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी को साध नहीं पाई रही है। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में आने और 75 वर्ष के फार्मूले जैसे निर्णयों से पार्टी में आई दरार भर नहीं पा रही है। अब 75 की उम्र के फार्मूले की जद में आ रहे बीजेपी नेता एकजुट होने जा रहे हैं। यह एकजुटता एक तरह का शक्तिप्रदर्शन माना जा रहा हैं।
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मौका है, बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया के अमृत अमृत महोत्सव का। 11 दिसंबर को दमोह में आयोजित अमृत महोत्सव में वे कई नेता शामिल हो सकते हैं, जो स्वयं को पार्टी में अलग-थलग अनुभव कर रहे हैं। कार्यक्रम के आमंत्रण पत्र में पूर्व मंत्री और मलैया के मित्र अजय विश्नोई का भी नाम है। महाकौशल का प्रतिनिधित्व करने वाले अजय विश्नोई मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व न मिलने से नाराज बताए जाते हैं। माना जा रहा है कि इसी कारण वे आए दिन अपने बयानों से सरकार को घेरते रहे हैं।
दमोह मलैया का गढ़ रहा है। बीजेपी ने दमोह से मलैया का टिकट काट कर उपचुनाव में कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आए राहुल लोधी को चुनाव लड़ाया था। राहुल लोधी चुनाव हार गए थे। इसका कारण पार्टी में भीतरघात माना गया। गढ़ दमोह में मिली इस हार के बाद जयंत मलैया को नोटिस जारी किया गया था तथा उनके बेटे सिद्धार्थ को पार्टी से निलंबित कर दिया गया था। इस मनमुटाव के बाद मलैया राजनीतिक रूप से निष्क्रिय हो गए जबकि बेटे ने मोर्चा संभाल रखा है। पिछले दिनों जब जयंत मलैया और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मुलाकात हुई तो इसके राजनीतिक मायने तलाशे गए। मगर मलैया परिवार बीजेपी में असंतुष्ट खेमे का प्रतिनिधित्व तो करता ही है।
बीजेपी के पुराने जमीनी नेता पार्टी में खुद को तवज्जो न मिलने से नाराज हैं। एक तो 75 वर्ष की उम्र के नेता को टिकट न देने और नेता पुत्रों को विरासत में टिकट नहीं देने का फैसला है तो दूसरी तरफ ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ बीजेपी में आए नेताओं को मिल रही अधिक तवज्जो का मसला है। अपनी राजनीतिक विरासत बचाने के लिए असंतुष्ट माने जाने वाले नेताओं का दमोह में जमावड़ा क्या राजनीतिक रंग दिखलाएगा, जानना दिलचस्प होगा।