मौनी अमावस्या पर बन रहा बन रहा है चतुर्ग्रही योग, भौमावस्या पर स्नान और दान से मिलेगा अनंत गुना शुभफल

माघी अमावस्या पर करें पितरों का तर्पण, कंबल, तिल दान से घर-परिवार में आएगी सुख-समृद्धि, माता लक्ष्मी की मिलेगी विशेष कृपा

Updated: Jan 31, 2022, 01:37 PM IST

Photo Courtesy: tv 9 bharatvarsh
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मंगलवार को माघी अमावस्या है, इसे मौनी अमावस्या भी कहा जाता है। यह दानपुण्य के लिए खास मानी जाती है। इस बार यह मंगलवार को पड़ रही है। 3 साल बाद 1 फरवरी को भौमावस्या का संयोग बन रहा है। 16 जनवरी 2018 को मंगलवारी अमावस्या पड़ी थी। अगली माघी भौमावस्या 21 जनवरी 2042 को पड़ेगी। अमावस्या पर पितरों का तर्पण और श्राद्ध करने का विधान है। इससे पितृ दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। इस दिन उपवास रखकर पवित्र नदियों में स्नान, दान किया जाता है। मंगलवार माघी अमावस्या पर मकर राशि में सूर्य, चंद्र, बुध और शनि हैं, इसे चतुर्ग्रही योग कहा जाता है। इस दिन महोदय और सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। इसे बेहद पुण्यदायक माना जाता है। वहीं इस दौरान पितरों का तर्पण कर सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। 

सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए तांबे के लोटे में गंगाजल, पानी, लाल चंदन और लाल रंग के फूल डाला जाता है। वहीं अमावस्या पर पीपल के पेड़ या फिर तुलसी की पूजा और परिक्रमा से भी शुभफल की प्राप्ति होती है। इस दिन गरीबों और जरूरतमंद लोगों को काले तिल, ऊनी कपड़े और जूते-चप्पल का दान करने से कई ग्रह शांत होते हैं। मौनी अमावस्या पर दान कुंडली के हर दोष से मुक्ति दिलाता है। वहीं अमावस्या पर भगवान विष्णु की पूजा से भी कष्टों से मुक्ति मिलती है।

माघी अमावस्या पर मौनी व्रत करने का विधान है, इसदिन मौन का खास महत्व होता है। मौन के दौरान अपने अंतर्मन में झांकना, ध्यान करना और भगवान की भक्ति में लीन हो जाना चाहिए। मान्यता है कि मां लक्ष्‍मी की अपार कृपा पाने के लिए मौनी अमावस्‍या के दिन चींटियों को शक्कर और आटा मिलाकर खिलाने से लाभ होता है। इस उपाय से अपार सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।