Opinion at Humsamvet In Hindi
गणतंत्र दिवस विशेष: संविधान का पुनरावलोकन नहीं पुनर्पाठ...
भारत के संविधान के 75 साल पूरा होने का समारोह मनाया जा रहा है या यह भारत के गणराज्य...
लोकतंत्र की मूल भावना को समझने और बचाने का समय आ गया है
देश की जनता जागरूक है और हमारे देश में लोकतंत्र की जड़ें गहरी है, नागरिक अपने अधिकारों...
3.75 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव के दावों पर संशय, निवेश...
इन्वेस्टर्स समिट एक नाटक-नौटंकी है, इससे मध्य प्रदेश को कोई फायदा नहीं होने वाला...
कठघरे में साँसें, भोपाल गैस त्रासदी के चार दशक: काश यह...
पुस्तक समीक्षा: कठघरे में साँसें, भोपाल गैस त्रासदी के चार दशक - लेखक विभूति झा...
जयंती विशेष: जब दुनिया बमों के ढेर पर बैठी थी, तब भी वह...
लिंकन और गांधी सौभाग्यशाली थे कि उन्हें गोली से मार दिया गया। नेहरू अभागे थे, जो...
हुंकार नहीं यह पीड़ा है
पूंजी की बढ़ती हिस्सेदारी ने नई किस्म की हताशा को जन्म दिया है। भारत सरकार कहती है...
शिक्षक का संघर्ष और सरकारी तंत्र की उदासीनता, दो दशकों...
जब राज्य के गरीब, वंचित आदिवासियों के बच्चों की शिक्षा पिछड़ रही थी, तब मुख्यमंत्री...
सतह से शिखर तक कमलनाथ का शंखनाद, बदल रहा है सियासी मौसम
प्रदेश में हज़ारों शिलान्यास और घोषणाओं के बाद भी कमलनाथ को क्यों नहीं रोक पा रहे...
सर्वधर्म समभाव ही भारत की आत्मा है: महात्मा गांधी
भारत आज तमाम तरह के संकटों से गुजर रहा है। परंतु यह तो स्पष्ट है कि इस वक्त का सबसे...
शिक्षक दिवस पर शिक्षा जगत से शिक्षक की बेदखली
विनोबा एक बड़ी मजेदार बात कहते हैं, ’’आज तो शिक्षक की हैसियत ही क्या है? जैसे खेत...